बैंक सख्ती से कर्ज वसूली करें : चिदंबरम
नई दिल्ली। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को सरकारी क्षेत्र के बैंकों से कहा कि वे कर्ज कड़ाई के साथ कर्ज की वसूली करें। वसूली में फंसे कर्ज की समस्या बढ़ने से चिंतित वित्तमंत्री ने कहा कि ‘मालदार मालिक और कंगाल कंपनी’ की स्थिति देश में ज्यादा नहीं चल सकती।चिदंबरम ने कहा कि हम चाहते हैं कि बैंक एनपीए वसूली के लिए सख्त कदम उठाएं। प्रवर्तकों (कंपनी शुरू करने वालों) को अतिरिक्त धन लाना होगा और कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज का भुगतान करें।वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। वित्तमंत्री ने कहा कि पिछले एक या दो महीने में वसूली सुधरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बैंक उद्योगों का नुकसान किए बगैर बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए और कदम उठाएंगे।उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि प्रवर्तक (मालिक) अमीर हों और कंपनियां कंगाल। प्रवर्तकों को अपनी कंपनी में धन जरूर डालना चाहिए। ऐसा कुछ न करे जिससे उद्योग का कारोबार बर्बाद हो, पर उन्हें कर्ज वसूली के लिए कठोर कदम उठाना होगा।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए दिसंबर 2012 तक बढ़कर 1.55 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो मार्च 2011 में 71,080 करोड़ रुपए था। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, कोयला, लोहा, इस्पात और सड़क परिवहन क्षेत्र की अटकी पड़ी योजनाएं चिंता का विषय हैं।चिदंबरम ने कहा कि फिलहाल 7 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित निवेश वाली 215 परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। इन परियोजनाओं को बैंकों ने 54,000 करोड़ रुपए का ऋण वितरण किया है। उन्होंने कहा कि जहां तक नई परियोजनाओं का सवाल है वे भी इन्हीं 5 क्षेत्रों से जुड़ी हैं। (भाषा)