Last Modified: नई दिल्ली ,
शनिवार, 15 मई 2010 (00:08 IST)
दो लाख तक की सालाना आय होगी करमुक्त
महँगाई के बोझ तले दबे आम आदमी को नए कर प्रस्तावों से कुछ और राहत मिल सकती है। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के नए मसौदे में दो लाख रुपए तक की सालाना आय पूरी तरह कर मुक्त की जा सकती है। वर्तमान में सालाना 1.60 लाख रुपए तक की आय ही करमुक्त है।
सूत्रों के मुताबिक, भविष्य निधि एवं पेंशन जैसी दीर्घकालीन बचतों की निकासी के समय राशि को करमुक्त रखे जाने के मौजूदा प्रावधान को बरकरार रखने पर भी वित्त मंत्रालय सहमत हो सकता है। उल्लेखनीय है कि डीटीसी के पहले प्रारुप में इस प्रकार की दीर्घकालिक बचतों पर निकासी के समय कर लगाने का प्रावधान रखा गया था।
नए संशोधित प्रारूप के अनुसार सालाना 10 लाख रुपए से अधिक की आमदनी वालों को अधिक आयकर देना पड़ सकता है। डीटीसी के पहले मसौदे में सालाना 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए तक की आय पर 20 प्रतिशत की दर से आयकर प्रस्तावित था जिसे अब बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
संशोधित प्रारूप में 10 लाख रुपए से उपर की आय पर 30 प्रतिशत आयकर लगाने का प्रावधान होने की संभावना है। प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान ले लेगी।
सरकार का इरादा इसे अगले वर्ष अप्रैल से लागू करने का है। प्रारूप का संशोधित संस्करण जल्द ही वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा।
अधिकतम कर स्लैब पर बहुत अधिक राहत नहीं मिलेगी। वर्तमान में सालाना 8 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। जबकि नए मसौदे में इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।
सूत्रों के अनुसार 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत आयकर लग सकता है, जबकि पहले मसौदे में आयकर की यह दर 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए तक की आय पर प्रस्तावित थी।
नये प्रस्ताव में दो लाख से पाँच लाख पर दस प्रतिशत, पाँच लाख से दस लाख तक 20 और दस लाख से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रावधान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि साथ ही मंत्रालय भविष्य निधि एवं पेंशन जैसे दीर्घकालीन बचत के लिए मुक्त.मुक्त.मुक्त (ईईई) मॉडल को अपनाने के मौजूदा प्रावधान को बरकरार रखने पर भी सहमत हो सकता है। पहले मसौदे में निकासी के समय कर लगाने का प्रस्ताव था।
आवास ऋण पर कर छूट को लेकर पहले मसौदे में पूरी तरह से चुप्पी साधी गई थी। सूत्रों ने कहा कि दूसरे मसौदे में भी इस मोर्चे पर किसी तरह की छूट मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि बीमा एवं अन्य बचतों पर कर छूट की सीमा मौजूदा एक लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।
अंतिम मसौदे को विभिन्न भागीदारों से प्रतिक्रिया लेने के लिए एक पखवाड़े के लिए पेश किया जाएगा जिसके बाद मंत्रालय इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजेगी और फिर इसे संसद पेश कर दिया जाएगा।(भाषा)