थोक मूल्य मुद्रास्फीति मई में घटकर 14 महीने के निचले स्तर 0.39 प्रतिशत पर, सब्जियां 21.62 प्रतिशत सस्ती हुईं
Wholesale price inflation: खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच मई में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (Wholesale price inflation) (डब्ल्यूपीआई) घटकर 14 महीने के निचले स्तर 0.39 प्रतिशत आ गई। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 0.85 प्रतिशत और मई 2024 में 2.74 प्रतिशत रही थी।
उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों, बिजली, अन्य विनिर्माण, रसायनों व रासायनिक उत्पादों, अन्य परिवहन उपकरणों और गैर-खाद्य वस्तुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही। थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मई में 1.56 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि अप्रैल में इनमें 0.86 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सब्जियों के दाम में भारी गिरावट आई। सब्जियां मई में 21.62 प्रतिशत सस्ती हुईं जबकि अप्रैल में इनकी कीमतें 18.26 प्रतिशत घटी थीं। विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 2.04 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 2.62 प्रतिशत थी।
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ईंधन और बिजली में भी मुद्रास्फीति 2.27 प्रतिशत रही : ईंधन और बिजली में भी मई में मुद्रास्फीति 2.27 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 2.18 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 6 वर्ष के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में नरमी रही। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में यह जानकारी मिली। आरबीआई ने मुद्रास्फीति में नरमी के बीच इस महीने नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की भारी कटौती कर इसे 5.50 प्रतिशत कर दिया था।
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रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के शीघ्र आगमन के बावजूद इसकी प्रगति जून के प्रारम्भ में ही रुक गई, जो 15 जून 2025 तक के सामान्य स्तर से 31 प्रतिशत कम रही। मानसून का अस्थायी एवं स्थानिक वितरण फसल के पूर्वानुमान व परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है।
कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई : उन्होंने कहा कि इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने के बाद चालू महीने में कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अग्रवाल ने कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में कुछ गिरावट से जून 2025 के लिए थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा जिसके जून 2025 में 0.6-0.8 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है। उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट से कारोबारी धारणा को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इससे उत्पादन की लागत कम होगी।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta