औसतन 25-28 साल की उम्र में ले रहे पहला कर्ज, ऋण लेने की औसत आयु 21 साल घटी
नई दिल्ली। कर्ज लेने वाले ग्राहकों की औसत उम्र में कमी आई है। पहले औसतन 47 साल की उम्र में लोग कर्ज लेते थे जबकि अब 25 से 28 साल की उम्र में ही कर्ज लेना शुरू हो जाता है। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट कहती है कि अब ग्राहक पिछली पीढ़ियों के मुकाबले औसतन 21 साल पहले कर्ज लेने लगे हैं।
उपभोक्ता कर्ज और मुफ्त 'क्रेडिट स्कोर' की सूचना देने वाले मंच 'पैसा बाजार' के इस अध्ययन के मुताबिक कि 1960 के दशक में जन्मे उपभोक्ताओं ने औसतन 47 साल की उम्र में अपना पहला कर्ज लिया। वहीं, 1990 के दशक में जन्मे उपभोक्ता कर्ज लेने की शुरूआत 25 से 28 वर्ष की उम्र में ही कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कर्ज मिलना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है और उपभोक्ता की सोच में भी बदलाव आया है। पीबी फिनटेक समूह की इकाई पैसाबाजार ने इस रिपोर्ट में एक करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के कर्ज लेने की प्रवृत्ति का विश्लेषण किया है।
पैसाबाजार की मुख्य उत्पाद अधिकारी राधिका बिनानी ने कहा कि आज के युवा उपभोक्ता ज्यादा जागरूक, महत्वाकांक्षी और डिजिटल रूप से सक्षम हैं। पहले की तुलना में वे न केवल जल्दी कर्ज ले रहे हैं बल्कि उसका अधिक आत्मविश्वास से और विभिन्न वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि किस तरह समय के साथ पूरा परिवेश बेहतर हुआ और कर्ज पहुंच आसान होती गई है।
पैसाबाजार के अध्ययन के मुताबिक कर्ज के लिए चुने जाने वाले उत्पादों में भी पीढ़ियों के बीच स्पष्ट बदलाव आया है। जहां पिछली पीढ़ियां आमतौर पर अपनी कर्ज की शुरूआत आवास ऋण या वाहन कर्ज जैसे सुरक्षित कर्जों से करती थीं, वहीं 1990 के दशक में जन्मे उपभोक्ता आमतौर पर 25 से 28 वर्ष की उम्र में असुरक्षित माने जाने वाले क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत ऋण और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों के लिए कर्ज ले रहे हैं।
अध्ययन के अनुसार, पहले लोग आवासीय ऋण को उम्रदराज होने पर लेते थे लेकिन अब युवावस्था में ही लोग कर्ज लेने लगे हैं। पहले घर के लिए कर्ज लेने की औसत उम्र 41 साल (1970 के दशक में जन्मे लोगों के लिए) हुआ करती थी, वहीं अब यह घटकर 28 वर्ष (1990 के दशक में जन्मे लोगों के लिए) हो गई है। इसी तरह कारोबार के लिए पहला कर्ज लेने की औसत उम्र भी 42 साल से घटकर 27 साल हो गई है। यह भारत में उद्यमशीलता की बढ़ती भावना और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) के लिए कर्ज उत्पादों तक आसान पहुंच को दर्शाती है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta