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Last Modified: बुधवार, 5 जुलाई 2017 (21:33 IST)

जीएसटी : एमआरपी से ज्यादा पैसे लिए तो गैरकानूनी

जीएसटी : एमआरपी से ज्यादा पैसे लिए तो गैरकानूनी - GST MRP
नई दिल्ली। देश में जीएसटी लागू हो गया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी जीएसटी पारित कर दिया है। जीएसटी को लेकर सरकार जनता को जागरूक कर रही है। सरकार ने जीएसटी पर निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया है। जीएसटी को लेकर जनता में अभी असमंजस की स्थिति है। सरकार ने अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) को लेकर स्पष्ट कर दिया है कि एमआरपी से अधिक पैसा लेना गैरकानूनी माना जाएगा।
 
सरकार ने एमआरपी को लेकर स्थिति को साफ किया है। उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि जिन उत्पादों की एमआरपी बदली गई है उसके लिए कंपनियों को सामान पर नई और पुराने दोनों एमआरपी देनी होगी, ताकि ग्राहक जान सकें कि पहले और अबके एमआरपी में कितना कितना अंतर है। सामान पर नई एमआरपी का स्टीकर चिपकाना होगा, लेकिन पुरानी एमआरपी भी नजर आनी चाहिए। इसके साथ ही कंपनी के लिए आवश्यक होगा कि वह अपने प्रोड्‍क्टस के नई और पुरानी एमआरपी कम से कम दो अखबारों में विज्ञापन के जरिए उपभोक्ता को बताना होगा।
 
आपको भी जागरूक रहने की आवश्यकता : आपके लिए जरूरी है कि जब किसी सामान को खरीदें, नई और पुरानी एमआरपी जरूर देखें और इसका मिलान अखबार में आए विज्ञापन से करें। खासकर जिन सामान के दाम कम हुए हैं, वहां दुकानदार आपको वह सामान पुरानी एमआरपी से बेचने की कोशिश कर सकता है, इसलिए आपको इसे लेकर चौकन्ना रहने की आवश्यकता है। आप उन सामानों के बारे में जरूर जानें जिनके दाम जीएसटी लागू होने के बाद घट गए हैं।
 
कीमत और आपूर्ति पर सरकार की नजर : राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया के मुताबिक सरकार ने जीएसटी पर निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी में 15 अलग-अलग विभाग के सचिव शामिल होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार लगातार कीमत और सप्लाई पर नजर बनाए हुए हैं। 
 
हसमुख अढ़िया ने कहा कि इसके ही देशभर के लिए 175 अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई है। इन अधिकारियों को चार से पांच जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी। ये अधिकारी भी अपने-अपने जिलों से जानकारी लेकर स्थिति पर नजर रखेंगे।  

इसके साथ ही कैबिनेट सचिव सप्ताह में एक बार स्थिति का जानकारी लेने के लिए बैठक करेंगे। हसमुख अढ़िया ने कहा कि किसी भी चीज की कीमत न बढ़े और लोगों को पता चले कि किस वस्तु पर कितना टैक्स कम हुआ है इसके लिए हमने मीडिया कैंपेन शुरू किया है। कुछ आवश्यक वस्तुओं की पहले क्या स्थिति थी अभी क्या स्थिति है, इसकी तुलना हमने अखबारों के जरिए बताई है।
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