गुरुवार, 21 नवंबर 2024
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Written By नृपेंद्र गुप्ता

LIC और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खतरे की घंटी, जानिए 7 बड़ी बातें

LIC और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खतरे की घंटी, जानिए 7 बड़ी बातें - 7 Facts which indicates that  LIC and mutual Funds are not safe now
नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी IL&FS का हाल बेहाल है। इस दिग्गज कंपनी पर लगभग 90 हजार करोड़ का कर्ज है। इस मामले ने तेजी से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। शेयर बाजार में भूचाल की स्थिति है। निवेशकों में हड़कंप दिखाई दे रहा है। LIC, SBI, Central Bank, UTI समेत कई बड़ी कंपनियों की साख पर इसका बुरा असर पड़ा है। इस कंपनी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार की है। ऐसे में इस डूबती कंपनी को सहारा देने सरकार आगे आई है। पुराने बोर्ड को भंग कर नए बोर्ड का गठन कर दिया गया है। आइए डालते हैं मामले से जुड़ी खास बातों पर एक नजर:
 
बड़ी संख्या में कंपनी के प्रोजेक्ट्स बंद हो गए हैं। कई प्रोजक्टस की लागत बढ़ चुकी है। इस वजह से कंपनी के सरकार पर 1700 करोड़ रुपए बकाया है। सितंबर महीने में कंपनी लिए गए कर्ज़ पर ब्याज की किश्त नहीं चुका पाई। इसके बाद से ही कंपनी की मुश्किलें बढ़ती चली गईं। कंपनी को अगले छह महीने में 3600 करोड़ रुपए से अधिक चुकाने हैं। कंपनी की मुश्किल ये है कि उसने जिन्हें कर्ज़ दिया है, वो इसे लौटा नहीं पा रहे हैं। स्माल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) ने IL&FS और उसकी 40 सहायक कंपनियों को करीब  1000 करोड़ का कर्ज़ दिया है। 450 करोड़ तो सिर्फ IL&FS को दिया है। बाकी 500 करोड़ उसकी दूसरी सहायक कंपनियो को लोन दिया है।
 
घटी कंपनी की रेटिंग : कंपनी को अब लोन नहीं मिल सकता और ये बाजार से पैसे जुटाने में भी नाकाम है, क्योंकि इसकी रेटिंग AA + से हटकर जंक स्टेटस में बदल चुकी है। अब यह कंपनी जंक यानी कबाड़ हो चुकी है। मसला बड़ा है अगर आईएलएंडएफएस डूबी तो सबकुछ एक झटके में बर्बाद हो जाएगा।
 
म्यूचुअल फंड्स को बड़े नुकसान की आशंका : एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये भले ही एक कंपनी के डिफॉल्ट (कर्ज़ न चुका पाने) करने का मामला लग रहा हो, लेकिन इससे कहीं न कहीं आम निवेशक भी प्रभावित तो होगा ही। क्योंकि इसमें कई म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियों और पेंशन स्कीम्स का भी पैसा लगा हुआ है। कंपनी की इस दयनीय स्थिति से म्यूचुअल फंड कंपनियों में घबराहट का माहौल है।
 
कहा जा रहा है कि इस कंपनी में म्यूचुअल फंड कंपनियों का 2 लाख 65 हजार करोड़ रुपया लगा है। म्यूचुअल फंड को हो रहे नुकसान से इसमें निवेश करने वालों की सांसें अटकी हुई है। तेजी से घटती एनएवी से भी लोगों में घबराहट का माहौल है। इसकी भरपाई में  आसानी से नहीं हो सकेगी और इस स्थिति से उबरने में लंबा समय लगेगा।
 
क्या होगा शेयर बाजार पर असर : इस मामले का शेयर बाजार पर भी बहुत बुरा असर हुआ। इसके साथ जितनी भी कंपनियां जुड़ी थीं सभी को भारी नुकसान हुआ। बाजार में भूचाल आया और उच्च स्तर से बाजार में सात प्रतिशत की गिरावट आई। सेंसेक्स और निफ्टी में भी दहशत का माहौल दिखाई दे रहा है। इक्विटी मार्केट के साथ ही बांड मार्केट में भी इसका बुरा असर पड़ा। दोनों का हाल बेहाल नजर आ रहा है। वित्त विशेषज्ञ योगेश बागोरा के अनुसार, बाजार के लिए यह एक बड़ा झटका है। इस स्तर तक दोबारा आने में छह माह से ज्यादा लग सकते हैं।
 
LIC से उम्मीद, सरकार भी मदद के लिए आगे आई : आईएलएंडएफएस मामले को बचाने के लिए सरकार ने 
एलआईसी से अपनी भागीदारी को 25 प्रतिशत से 40 प्रतिशत करने को कहा है। अगर यह कंपनी बच गई और वर्किंग में आ गई तो इसका श्रेय LIC को ही जाएगा। पर स्थिति नहीं संभली तो देश की इस सबसे बड़ी कंपनी की साख बुरी तरह प्रभावित होगी साथ ही इसमें निवेश करने वाले लोगों को भी भारी नुकसान होगा। ऐसे में स्थिति और भयावह हो जाएगी और सरकार के लिए इसे संभालना आसान नहीं होगा।
 
उदय कोटक से बड़ी उम्मीद : उदय कोटक जैसे एक्सपर्ट को IL&FS की कमान सौंपी गई है। इसके पुराने बोर्ड को बर्खास्त कर दिया गया है। सरकार के इस कदम से बाजार का कॉन्फिडेंस लौटने की उम्मीद है। हालांकि उदय कोटक की राह भी आसान नहीं है। अब इस बात पर सबकी नजरें लगी हुई हैं कि क्या यह दिग्गज इस कंपनी का बेड़ा पार कर पाएगा। 
 
क्या होगा मोदी सरकार पर असर : चुनावों का मौसम शुरू होने से ठीक पहले सामने आए इस मामले ने मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत चार राज्यों में चुनाव सिर पर हैं। इसके तुरंत बाद लोकसभा चुनाव होंगे। ऐसे में मोदी सरकार ने इस स्थिति से उबरने के लिए कमर कस ली है। सरकार ने मामले से निपटने के लिए IL&FS को बचाने के लिए रेस्क्यू प्लान तैयार कर लिया है। अब देखना यह है कि सरकार  को इस कंपनी को 'वेंटिलेटर' से हटा पाने में कितना समय लगता है।
 
जेटली की राजनीति : जब कांग्रेस ने सरकार पर एलआईसी पर इसे मदद करने पर दबाव बनाने का आरोप लगाया तो जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी घराने की दूषित सोच ही आईएलएंडएफएस में वित्तीय संस्थाओं के निवेश को घोटाला कह सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता से कुछ सीख ले लेनी चाहिए। उनके मुताबिक, मुख्य विपक्षी पार्टी कर्ज में डूबी आईएलएंडएफएस से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में गलत सूचनाएं फैला रही है। बहरहाल शेयर बाजार की स्थिति और निवेशकों के चेहरे की चिंता तो अलग ही कहानी बयां कर रही है। 
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