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Written By भाषा
Last Modified: शुक्रवार, 15 मार्च 2013 (20:19 IST)

सुब्रत राय की हिरासत के लिए सेबी ने दायर की याचिका

सुब्रत राय
PTI
नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एंव विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा समूह की दो रियलटी कंपनियों द्वारा निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपए लौटाने के अदालती आदेश का पालन नहीं करने के कारण समूह के प्रमुख सुब्रत राय को हिरासत में लिए जाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

सेबी ने न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दायर याचिका में श्रीराय के अलावा समूह के दो निदेशकों अशोक राय चौधरी और रविशंकर दुबे को भी हिरासत में लिए जाने के साथ ही इन सभी के पासपोर्ट न्यायालय के पास जमा किए जाने का अनुरोध भी किया है। पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस मामले की सुनवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह में करेगी।

सेबी ने यह याचिका उच्चतम न्यायालय के 31 अगस्त 2012 मे पारित उस आदेश के सिलसिले में दायर की है जिसमें सहारा की दो रियलटी कंपनियों सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेट कार्पोरेशन लिमिटेड को निवेशकों से बॉण्ड बिक्री के जरिए गलत तरीके से जुटाए गए करीब 24 हजार करोड़ रुपए वापस करने को कहा गया था।

सहारा की ओर से इस बारे में दोबारा अपील करने पर उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2012 में उसकी दोनों कंपनियों को तीन किश्तों में यह रकम अदा करने की इजाजत दे दी थी। इसके तहत 5120 करोड़ रुपए की पहली किश्त तत्काल अदा की जानी थी जबकि बाकी दो किश्तों मे से 10 हजार करोड़ रुपए की दूसरी किश्त जनवरी 2013 के पहले सप्ताह में और आखिरी किश्त फंरवरी 2013 के पहले सप्ताह मे अदा की जानी थी।

उच्चतम न्यायालय ने आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी सेबी को दी थी। लेकिन ऐसा नहीं होने की स्थिति में न्यायालय ने सेबी को सख्ती बरतने की हिदायत दी जिस पर 13 फंरवरी 2013 को सेबी ने सहारा की दोनों रियलटी कंपनियों के साथ ही उनके प्रवर्तकों और निदेशकों के बैंक खाते सील करने का आदेश जारी कर दिया।

इसके बावजूद सहारा की दोनों कपंनियों ने निवेशकों के पैसे अदा नहीं किए जिसके कारण सेबी ने आखिरकार समूह प्रमुख और उसके दो निदेशकों को हिरासत में लिए जाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। हालांकि सहारा समूह का कहना है कि उसने 5120 करोड़ रुपए सेबी को अदा कर दिए है जो कि उसकी देनदारियों से कहीं ज्यादा है। (भाषा)