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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 27 जून 2025 (14:20 IST)

दो नरों से हुआ चूहे का जन्म, धरे रह गए कुदरत के नियम, क्या गे कपल्स भी पैदा कर पाएंगे बच्चा

androgenesis
mice born from two fathers using dna editing technique: हाल ही में विज्ञान जगत से एक ऐसी खबर आई है जिसने सबको चौंका दिया है। चीन के जियाओतोंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पहली बार दो नर चूहों के जेनेटिक मटेरियल से एक बच्चे को जन्म दिया है, बिना किसी मादा के अंडाणु का उपयोग किए। यह खोज इतनी क्रांतिकारी है कि इसे "कुदरत के नियमों का टूटना" कहा जा रहा है। यह स्टडी 23 जून 2025 को नामी साइंटिफिक जर्नल Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS) में प्रकाशित हुई है।  इस प्रयोग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं: "क्या अब गे कपल्स भी बच्चा पैदा कर पाएंगे?" और "यह कैसे हो पाया मुमकिन?" आइए, इस असाधारण वैज्ञानिक सफलता के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों को समझते हैं।

कैसे हो पाया ये मुमकिन
दो अलग-अलग नर चूहों के शुक्राणुओं का उपयोग किया गया – एक लैब-ब्रेड माउस और दूसरा थाईलैंड के वाइल्ड माउस की नस्ल से।  इस चमत्कार को अंजाम देने के लिए चीन के वैज्ञानिकों ने एक जटिल प्रक्रिया अपनाई, जिसे एंड्रोजेनेसिस (Androgenesis) कहा जाता है। इसमें उन्होंने एक मादा चूहे के अंडाणु का इस्तेमाल तो किया, लेकिन उसका 'न्यूक्लियस' यानी जेनेटिक हिस्सा निकाल दिया। इसके बाद, उन्होंने दो अलग-अलग नर चूहों के स्पर्म को उस खाली अंडाणु में डाला। इस तरह एक ऐसा भ्रूण तैयार हुआ जिसमें दोनों डीएनए स्त्रोत पुरुष थे।

यह प्रक्रिया इतनी सीधी नहीं थी जितनी लगती है। वैज्ञानिकों को इसमें जीन एडिटिंग का सहारा लेना पड़ा। डीएनए का संतुलन न बिगड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक बदलाव किए गए। जेनेटिक इंजीनियरिंग के इस जटिल संगम ने सुनिश्चित किया कि भ्रूण स्वस्थ रूप से विकसित हो सके।
एक बार जब भ्रूण (एम्ब्रियो) तैयार हो गया, तो उसे एक मादा चूहे के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया। कुछ हफ्तों के इंतजार के बाद, एक स्वस्थ नर चूहा पैदा हुआ। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यह नर चूहा बड़ा हुआ और एक मादा से सामान्य मिलन के जरिए संतान भी पैदा की, जो इस तकनीक की सफलता का एक और प्रमाण है।

क्यों जरूरी है ये खोज?
यह खोज सिर्फ एक वैज्ञानिक जिज्ञासा से कहीं बढ़कर है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एसोसिएट प्रोफेसर हेलेन ओ’नील का कहना है कि, "इससे ये साबित होता है कि स्तनधारी जीवों में एक ही लिंग से संतान पैदा करने में बड़ी बाधा 'जीनोमिक इम्प्रिंटिंग' है और अब शायद इसे पार किया जा सकता है।" जीनोमिक इम्प्रिंटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें माता-पिता से मिलने वाले कुछ जीन अलग-अलग तरीके से व्यक्त होते हैं। इसे बायपास करना विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती थी।

क्या दो पुरुष अब बन सकेंगे बायोलोजिकल पिता:
आज के समय में समलैंगिक जोड़े  सरोगेसी या किसी और महिला की मदद से ही बच्चा पैदा कर सकते हैं। इस स्थिति में दोनों पुरुष जैविक माता-पिता नहीं बन पाते। लेकिन इस एक्सपैरिमैंट के बाद पहली बार उम्मीद जगी है कि दो पुरुष भी मिलकर एक ऐसा बच्चा पैदा कर सकते हैं जो दोनों का डीएनए लिए हो।  हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार अभी इस तकनीक का इस्तेमाल इंसानों पर लागू नहीं हो सकता। इसकी वजहें हैं – अत्यधिक कम सफलता दर, हजारों अंडों की जरूरत, और बड़ी संख्या में सरोगेट महिलाओं की जरूरत। Sainsbury Wellcome Centre के क्रिस्टोफ गालिचे के अनुसार, ‘इंसानों में इस तकनीक को लागू करना न सिर्फ अव्यवहारिक है, बल्कि नैतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील मामला होगा।’

 
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