मद्रास यूनिवर्सिटी- शोध और शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र
मद्रास विश्वविद्यालय। 'शोध और सभी के लिए शिक्षा' ये दो सिद्धांत मद्रास विश्वविद्यालय को अलग पहचान देते हैं। विक्टोरिया काल की सुंदर इमारत में इस विश्वविद्यालय को अंग्रजों ने स्थापित किया। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित मद्रास विश्वविद्यालय दक्षिण भारत के विश्वविद्यालयों में सबसे पुराना विश्वविद्यालय है।जॉर्ज नॉर्टन की अध्यक्षता में 1840 में विश्वविद्यालय समिति का निर्माण हुआ और 5 सितंबर 1857 में विश्वविद्यालय प्रारंभ हुआ। 1912 में इस विश्वविद्यालय में केवल 17 विभाग, 30 अध्यापक और 69 शोध छात्र थे। आज यह विशाल शिक्षा केंद्र बन गया है। मद्रास विश्वविद्यालय से करीब 152 संबद्ध कॉलेज और 52 स्वीकृत शोध संस्थान हैं। शोध के लिए प्रमुख माने जाने वाला मद्रास विश्वविद्यालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से वैज्ञानिक कार्यों के मामले में 35 सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय संस्थानों में 15वें स्थान पर है। बेहतर विद्वान प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में छात्र शोध करते हैं। मद्रास विश्वविद्यालय ने करीब 21 उद्योग और सेवा संगठनों के अलावा 85 विदेशी और 18 भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यहां हर अध्यापक को कम-से-कम आठ शोध छात्रों को लेना होता है। विभिन्न विभागों में कई प्रायोजित शोध कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिन्हें विभिन्न एजेंसियों से आर्थिक सहायता मिल रही है। सरकारी नियंत्रण में होते हुए भी मद्रास विश्वविद्यालय ने शोध और विकास के मामलों में उपलब्धियां हासिल की है। मद्रास विश्वविद्यालय में ग्रामीण विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से पाठ्यक्रमों को संवर्धित किया जाता है। नि:शुल्क शिक्षा कार्यक्रम भी शुरू किए जाते हैं। विश्वविद्यालय ने ज्ञान के क्षेत्र में लाज़वाब उपलब्धियां हासिल की हैं। आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय के कॉलेजों में 10 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें आरक्षित होती हैं। विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए समय- समय पर रोजगारपरक पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं। मद्रास विश्वविद्यालय ने दुनिया को कई विद्वान, प्रसिद्ध वैज्ञानिक दिए हैं।