पंचतंत्र की चटपटी कहानी : बहुरूपिया गधा
एक नगर में धोबी रहता था। उसके पास एक गधा था, जिस पर वह कपड़े लादकर नदी तट पर ले जाता और धुले कपड़े लादकर लौटता। धोबी का परिवार बड़ा था। सारी कमाई आटे, दाल और चावल में खप जाती। गधे के लिए चारा खरीदने के लिए कुछ न बचता। गांव की चारागाह पर गाय-भैंसें चरतीं। अगर गधा उधर जाता तो चरवाहे डंडों से पीटकर उसे भगा देते। ठीक से चारा न मिलने के कारण गधा बहुत दुर्बल होने लगा।
धोबी को भी चिंता होने लगी, क्योंकि कमजोरी के कारण उसकी चाल इतनी धीमी हो गई थी कि नदी तक पहुंचने में पहले से दुगना समय लगने लगा था।एक दिन नदी किनारे जब धोबी ने कपड़े सूखने के लिए बिछा रखे थे तो आंधी आने से कपड़े इधर-उधर हवा में उड़ गए। आंधी थमने पर उसे दूर-दूर तक जाकर कपड़े उठाकर लाने पड़े। अपने कपड़े ढूंढता हुआ वह सरकंडो के बीच घुसा। सरकंडो के बीच उसे एक मरा बाघ नजर आया।