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मजेदार बाल कविता : हवा भोर की

kids poem
हवा भोर की करती अक्सर,
काम दवा का जी।
यही बात समझाते हर दिन,
मेरे दादाजी।
 
इसी हवा में मनभावन सी,
धूप घुली रहती।
और विटामिन 'डी' जैसी कुछ,
चीज मिली रहती।
भोर भ्रमण से दिन भर रहती,
तबियत ताजा जी।
 
सुबह-सुबह चिड़ियों की चें-चें, 
चूं-चूं भाती है।
तोते बिही कुतरते दिखते,
मैना गाती है।
खूब बजाते पत्ते डालें,
सर-सर बाजा जी।
 
ऊषा के आंगन में सूरज,
किलकारी भरता।
दुखी रात से थी धरती जो,
उसके दुःख हरता।
सोने वाले प्राणी जागो,
करे तगाज़ा जी।

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