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श्री गणेशाय नम:
कविता सोलंकी हे गौरी के लाल,देवलोक के तुम सरताज!सुन ले गणेश मेरी पुकार,प्रभु कर दे मेरी नैया पार!रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,दीन दुखियों के भाग्य विधाता!तुझमें ज्ञान-सागर अपार,प्रभु कर दे मेरी नैया पार!सब देवन में प्रथम देव तुम,मूषक तुम्हारे पास विराजे!करते पूजन आरती उतार,प्रभु कर दे मेरी नैया पार!