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Written By WD

सुधार का समय

सुधार का समय -
Seema Pandey
े दिन आ जाएँ।

हमारे चिंटूजी का मन भी अब खेल-खेलकर ऊब गया है। अब तो वे नए-नए काम में लगे हैं। नया काम क्या कहें एक तरह से आगे के लिए पढ़ने की ही तैयारी है। असल में एक दिन वो मेरे पास कुछ लिखकर लाए तो मैंने देखा उनकी राइटिंग पढ़ने में मुझे तकलीफ हो रही थी। अक्षर कुछ छोटे और टेढ़े-मेढ़े से थे।

मैंने कहा- 'ये तुम्हारी राइटिंग तो पढ़ने में ही नहीं आ रही है।' चिंटूजी मेरी तरफ हैरानी से देखने लगे। मैंने कहा-'अब समझ में आया कि तुम्हारा नंबर कक्षा में दूसरा क्यों आता है। यह सब तुम्हारी गड़बड़ी राइटिंग के कारण आ रही है।' तो उन्होंने मुँह लटका लिया। मैंने कहा -'अरे मुँह लटकाने की क्या बात है यह सब तो तुम्हारे हाथ में है। तुम चाहो तो आज से अभ्यास करके राइटिंग सुधार सकते हो।' इतना सुनते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई। और तब से ही वो राइटिंग सुधारने के अभ्यास में लगे हैं।

अब तुम क्या सोच रहे हो तुम भी स्कूल खुलने के पहले अपनी किसी भी बात में सुधार करना चाहते हो तो अभी कर लो।

तुम्हारी दीदी
सीमा