Mangal dosha: मंगल दोष वालों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए?
Mangal dosha:यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में है तो यह मंगल दोष पीड़ीत की कुंडली मानी जाती है। मंगल दोष का कारण मंगल ग्रह है और इस ग्रह के देवता भूमि पुत्र मंगलदेव है, लेकिन क्या हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ने से यह दोष दूर हो जाएगा? आओ जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
मंगल दोष: मंगल दोष को ज्योतिष में कुंज दोष भी कहते हैं। मंगल यदि किसी जातक की कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में है तो मंगल दोष की कुंडली मानी जाती है। मंगल तीन प्रकार का माना गया है- सौम्य मंगल, मध्यम मंगल और कड़क मंगल। कहते हैं कि सौम्य मंगल का कोई दोष नहीं, मध्यम मंगल 28 वर्ष की उम्र के बाद उसका दोष समाप्त हो जाता है। कड़क मंगल के दोष की शांति कराना चाहिए और इन्हीं लोगों को विवाह के संबंध में कुंडली मिलान करने की आवश्यकता बताई जाती है।
मंगल दोष का प्रभाव: जिस भी जातक को कड़क मंगल दोष रहता है उसके स्वभाव में थोड़ा उग्रपन और अहम रहता है। मंगल एक उग्र ग्रह है। लग्न में बैठा मंगल जातक को दुस्साहसी और पराक्रमी बनाता है। चतुर्थ भाव में बैठा मंगल जातक को क्रोधी, जिद्दी और चिढ़चिढ़ा बनाता है, सप्तम में बैठा मंगल चरित्र को बिगाड़ता है और वैवाहिक जीवन में नष्ट करता है, अष्टम में बैठा मंगल जातक को घमंडी और जिद्दी बनाता है और द्वादश भाव का मंगल झगड़ालू और मूर्ख बनाता है। हालांकि स्वभाव की यह स्थितियां जातक के अन्य ग्रहों की मंगल की दृष्टि पर भी निर्भर करती है। नेक मंगल अच्छा स्वभाव देता है और बद मंगल बुरा स्वभाव निर्मित करता है।
मंगल ग्रह के देवता: मंगलवार का दिन हनुमानजी और मंगलदेव दोनों का है। मंगल ग्रह के देवाता तो मंगल देव ही है। उज्जैन के मंगलनाथ में जब मंगल ग्रह की शांति की जाती है तो भूमि पुत्र मंगलदेव की ही शिवरूप में पूजा होती है।
मंगल दोष की शांति के लिए हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए या नहीं?
निश्चित ही पढ़ना चाहिए और नियमित रूप से पढ़ना चाहिए क्योंकि मंगल दोष के कारण जातक का स्वभाव उग्र, जिद्दीपद, क्रोधी, घमंडी और संकट पैदा करने वाला बन जाता है। यदि ऐसा जातक नित्य हनुमान चालीसा पढ़ता है तो उसके स्वभाव और चरित्र में बदलाव आता है और वह नेक दिल इंसान बनकर समझदारी से काम करने लगता है। इसी के साथ ही नित्य हनुमान चालीसा पढ़ने वाले जातक की हनुमानजी स्वयं रक्षा करते हैं। उसे बुद्धि और बल प्रदान करते हैं और उसके जीवन के सभी संकटों को हर लेते हैं। इसलिए मांगलिक लोगों को तो निश्चित ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
लाल किताब और मंगल दोष: लाल किताब के अनुसार मंगल नेक अर्थात शुभ के देवता हनुमानजी है और अशुभ अर्थात बद मंगल को वीरभद्र की संज्ञा दी गई है। वीरभद्र शिवजी के एक गण हैं जिन्हें राजा दक्ष की गर्दन काट दी थी। कुछ जगह बद के देवता वेताल, भूत या जिन्न को भी माना गया है। मंगलदेव को भूमि पुत्र कहा गया है। इनकी पूजा करने से भी मंगलदोष में लाभ मिलता है परंतु कहा जाता है कि हनुमानजी की पूजा करने से मंगल किसी भी प्रकार का हो वह नेक बन जाता है। यानि मंगल शुभ होकर शुभ फल देता है। मांगलिक दोष के जातकों में क्रोध की अधिकता रहती है और उनकी बुद्धि पर ताले लगे रहे हैं। हनुमानजी की पूजा करने से यह सभी तरह के दोष समाप्त हो जाते हैं।