Dattatreya bhagwan ki jayanti par guru ke upay: दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय (जिन्हें गुरु का स्वरूप माना जाता है) की विशेष पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति (गुरु) ग्रह को बल मिलता है और उसके अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। इस बार गुरुवार को ही दत्त महाराज की जयंती आ रही है। 4 दिसंबर 2025 के दिन उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। आओ जानते हैं दत्तात्रेय भगवान की पूजा का तरीका और गुरुवार के उपाय।
1. पूजा की तैयारी और संकल्प:-
स्नान और वस्त्र: दत्तात्रेय जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
चौकी स्थापना: पूजा स्थल को साफ करें। एक चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर भगवान दत्तात्रेय के बाल स्वरूप की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि प्रतिमा उपलब्ध न हो, तो आप भगवान विष्णु की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
तिलक: भगवान को गंगाजल से स्नान कराएँ और इसके बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएँ।
संकल्प: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत (उपवास) और पूजा का संकल्प लें कि आप गुरु ग्रह की शांति और शुभ फल प्राप्ति के लिए यह पूजा कर रहे हैं।
2. गुरु ग्रह को बलवान बनाने के लिए विशेष पूजा विधि:-
गुरु ग्रह को बलवान बनाने के लिए पूजा में पीली वस्तुओं का प्रयोग अवश्य करें:
पुष्प और नैवेद्य: भगवान दत्तात्रेय को पीले रंग के फूल (जैसे गेंदा या कनेर) और माला अर्पित करें। भोग में पीली मिठाई (जैसे बेसन के लड्डू, या पीले रंग का हलवा) या फल (जैसे केला) चढ़ाएँ।
धूप-दीप: धूप, दीप जलाएँ और रोली, अक्षत, और सुगंधित इत्र (केवड़ा, चमेली) आदि समर्पित करें।
मंत्र जप: पूजा के दौरान भगवान दत्तात्रेय के किसी एक या सभी मंत्रों का स्फटिक की माला से कम से कम 108 बार जाप करें। गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्र जाप सबसे महत्वपूर्ण है।
दत्तात्रेय महामंत्र: 'दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'
तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र: 'ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:'
दत्त गायत्री मंत्र: 'ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात'
पाठ: भगवान दत्तात्रेय की कथा पढ़ें या 'अवधूत गीता' का पाठ करें।
3. गुरु शांति के लिए अतिरिक्त उपाय:-
केसर/हल्दी का तिलक: पूजा के बाद अपने माथे पर केसर या हल्दी का तिलक अवश्य लगाएँ। यह गुरु ग्रह को मजबूत करता है।
दान: इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीब या भूखे लोगों को पीले वस्त्र और भोजन (दान-पुण्य) करवाएँ। गाय को चने की दाल और गुड़ खिलाना भी शुभ माना जाता है।
गुरुजन का सम्मान: अपने गुरु, माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और उनका सम्मान करें। भगवान दत्तात्रेय को गुरु स्वरूप माना जाता है, इसलिए गुरु का सम्मान करना ही उनकी सच्ची पूजा है।
उपवास: यदि संभव हो तो इस दिन एक वेला (एक समय) का उपवास रखें।
इन उपायों और पूजा विधि से भगवान दत्तात्रेय प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होकर आपको ज्ञान, सम्मान और समृद्धि प्रदान करता है।
4. पीपल के पेड़ की पूजा: गुरुवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाएं और 7 बार परिक्रमा करें। पीपल के पेड़ में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और गुरुओं का वास माना जाता है। इससे धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
5. धार्मिक ग्रंथों का पाठ और अध्ययन: इस दिन भागवत गीता, वेद, उपनिषद या अन्य किसी भी धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन करें। ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह सबसे उत्तम दिन है। छात्रों को इस दिन अपनी किताबों और कलम की पूजा भी करनी चाहिए।
6. पीली वस्तुओं का दान: इस दिन पीले रंग की वस्तुओं जैसे पीले पुष्प, पीली मिठाई, बेसन के लड्डू, चने की दाल या केसर का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। पीला रंग गुरु बृहस्पति से संबंधित है, जो धन और समृद्धि के कारक ग्रह हैं।
7. सेवा और क्षमा का भाव: किसी असहाय या जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा करें। मन में किसी के प्रति द्वेष या कटुता न रखें। सभी को क्षमा करें और स्वयं भी क्षमा मांगें। यह आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।