Dashami Shraadh dos and donts: पितृ पक्ष/ श्राद्ध पक्ष हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र काल होता है, जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। यह समय अत्यंत श्रद्धा और संयम से जीने का होता है। इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की दशमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है।
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श्राद्ध पक्ष में दशमी का श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका देहावसान किसी भी माह की दशमी तिथि को हुआ हो। इस श्राद्ध को 'दशमी श्राद्ध' भी कहते हैं। इस दिन विधि-विधान से श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि, सफलता और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
दशमी श्राद्ध मंगलवार, सितंबर 16, 2025 को
दशमी श्राद्ध 2025 की तिथि और मुहूर्त
तिथि: 16 सितंबर 2025, मंगलवार
दशमी तिथि प्रारम्भ- 16 सितंबर 2025 को 01:31 ए एम बजे
दशमी तिथि समाप्त- 17 सितंबर 2025 को 12:21 ए एम बजे
दशमी श्राद्ध अनुष्ठान समय
कुतुप मुहूर्त - 12:09 पी एम से 12:58 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त - 12:58 पी एम से 01:47 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न काल - 01:47 पी एम से 04:13 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 27 मिनट्स
1. शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करके उसे पवित्र करें।
2. तर्पण: दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। तांबे के बर्तन में जल, दूध, जौ, चावल, सफेद फूल और काले तिल मिलाकर तर्पण करें।
3. पिंडदान: पितरों के लिए आटे और चावल से बने पिंडों को तैयार करें और उन्हें श्रद्धापूर्वक अर्पित करें।
4. भोजन: पितरों के लिए उनकी पसंद का सात्विक भोजन (जैसे खीर, पूड़ी, सब्ज़ियां) बनाएं। ध्यान रखें कि भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग न हो।
5. पंचबलि: भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवा, कुत्ता, चींटी और देवता के लिए अलग निकालें।
6. ब्राह्मण भोजन: कुतुप मुहूर्त में किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन कराएं और उन्हें सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा और वस्त्र देकर आदरपूर्वक विदा करें।
7. प्रार्थना: शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
सावधानियां :
• श्राद्ध कर्म करते समय लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
• सोने, चांदी, तांबे या कांसे के बर्तनों का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
• घर में शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहिए।
• किसी से भी झगड़ा या बहस करने से बचें।
• किसी भी पशु-पक्षी को कष्ट न पहुंचाएं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पितृ किसी भी रूप में हमारे आसपास हो सकते हैं।