पितृ दोष:
• अतृप्त आत्माएं: श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों को भोजन, जल और श्रद्धा अर्पित करना है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और वे मोक्ष की ओर बढ़ सकें। यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो माना जाता है कि पितर अतृप्त और असंतुष्ट होकर वापस लौट जाते हैं।
• नकारात्मक प्रभाव: अतृप्त पितरों का आशीर्वाद न मिलने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं, जिसे 'पितृ दोष' कहा जाता है।
• जीवन में आने वाली समस्याएं: श्राद्ध न करने से व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
• धन और समृद्धि की कमी: आर्थिक उन्नति में बाधाएं आती हैं और धन संचय करना मुश्किल हो जाता है। व्यापार में घाटा या नौकरी में तरक्की रुक सकती है।
• पारिवारिक समस्याएं: परिवार में अक्सर कलह और अशांति का माहौल बना रहता है। पति-पत्नी और बच्चों के बीच रिश्तों में तनाव आ सकता है।
• संतान संबंधी समस्याएं: संतान प्राप्ति में बाधा या संतान से संबंधित अन्य परेशानियां हो सकती हैं।
• स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां: घर में किसी न किसी सदस्य को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं।
• काम में असफलता: व्यक्ति को अपने प्रयासों में बार-बार असफलता मिलती है।
हालांकि, यह पूरी तरह से धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। आधुनिक युग में कई लोग इन बातों पर विश्वास नहीं करते। लेकिन, परंपराओं के अनुसार, श्राद्ध कर्म पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है, जो व्यक्ति को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है।
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