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Last Updated : मंगलवार, 24 मई 2022 (21:56 IST)

जम्मू-कश्मीर में बेमौसम हिमपात से शीतलहर, चिनाब घाटी के खानाबदोशों को नुकसान का डर

जम्मू-कश्मीर में बेमौसम हिमपात से शीतलहर, चिनाब घाटी के खानाबदोशों को नुकसान का डर - Unseasonal snowfall in Jammu and Kashmir causes cold wave
भद्रवाह/जम्मू। चिनाब घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में बेमौसम हिमपात ने सैकड़ों खानाबदोश परिवारों को मुश्किल में डाल दिया है, क्योंकि बिगड़े मौसम में वे अपने पशुओं के साथ आगे की यात्रा रोकने के लिए मजबूर हैं। डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के ऊपरी इलाकों में शीतलहर जैसे हालात बने हुए हैं जिससे केंद्र शासित प्रदेश और पंजाब के मैदानी इलाकों से अपनी यात्रा शुरू करने वाले खानाबदोशों में बेचैनी है।
 
अधिकारियों ने कहा कि सोमवार की रात से कैलाश पर्वत श्रृंखला, कैंथी, पादरी गली, भाल पादरी, सियोज, शंख पदर, ऋषि दल, गौ-पीड़ा, गण-ठक, खन्नी-टॉप, गुलदंडा, छतर गल्ला व भद्रवाह घाटी के निकट आशा पति ग्लेशियर में ताजा बर्फबारी हुई है।
 
गंडोह के ऊंचाई वाले घास के मैदानों के अलावा ब्रैड बल, नेहयद चिल्ली, शारोन्थ धर, कटारधर, कैंथी, लालू पानी, कलजुगासर, दुग्गन टॉप, गोहा और सिंथान टॉप में भी बेमौसम बर्फबारी हुई है। गर्मियों के दौरान गुज्जर और बकरवाल जनजातियां इन ऊंचाई वाले इलाकों और विशाल चरागाहों में निवास करती हैं।
 
एक अधिकारी ने बताया कि बेमौसम हिमपात और भीषण ठंड की वजह से सैकड़ों आदिवासी परिवार या तो सड़क के किनारे या निचले इलाकों में चिनाब घाटी के विभिन्न हिस्सों में फंस गए हैं। खानाबदोश गुज्जर समुदाय के बशीर बाउ (69) ने भद्रवाह-पठानकोट राजमार्ग पर गुलडंडा में कहा कि हम बिना भोजन और चारे के सड़क के किनारे खुले में अपनी भेड़-बकरियों के साथ फंस गए हैं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
 
कठुआ जिले के लखनपुर के रहने वाले बाउ ने दावा किया कि बीते कुछ दिनों में भीषण ठंड के कारण उसकी करीब 15 भेड़-बकरियों की जान जा चुकी है। उसने कहा कि हम असमंजस में हैं और तय नहीं कर पा रहे कि यहीं रुके रहें या आगे जाएं। कठुआ के बसहोली के रहने वाले सैन मोहम्मद ने कहा कि वे अपने मवेशियों के साथ पादरी चारागाह की तरफ जा रहे थे तभी खराब मौसम में फंस गए और सरथल में ही रुकने को मजबूर हैं।
 
उन्होंने बताया कि हमें अपने जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था करने में काफी दिक्कत हो रही है। अगर मौसम में सुधार नहीं हुआ तो हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, चिनाब घाटी के अधिक ऊंचाई वाले घास के मैदान, जो भद्रवाह से जवाहर सुरंग (बनिहाल) और मरमत (डोडा) से पद्दार और मारवाह (किश्तवाड़) तक फैले हुए हैं, में गर्मियों के मौसम में 30,000 खानाबदोश और भेड़, बकरी, भैंस, घोड़े और खच्चर सहित उनके लाखों मवेशी रहते हैं। हालांकि कुछ जनजाति संगठनों का दावा है कि खानाबदोश आबादी बढ़कर 1 लाख से ज्यादा हो गई है। मौसम विभाग ने बुधवार सुबह से मौसम में कुछ सुधार की उम्मीद व्यक्त की है।