लद्दाखियों ने भरी हुंकार, 3 फरवरी को लेह चलो के साथ आंदोलन हुआ तेज
Movement intensified with Leh Chalo on 3rd February : कई सालों की जंग के बाद लद्दाखियों (Ladakhis) को जो यूटी का दर्जा मिला, वे उससे नाखुश हैं। यही कारण है कि अब उन्होंने अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरते हुए आंदोलन की शुरुआत करते हुए 3 फरवरी को 'लेह चलो' (Leh Chalo) का नारा दिया है। दरअसल उनका कहना है कि केंद्र सरकार (Central Government) ने उनकी मांगों का मसौदा स्वीकृत करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया है।
और अब लद्दाख की जनता अब अपनी मांगों के प्रति खुलकर मैदान में आ गई है। अब केंद्र सरकार से मुलाकातों के बाद केंद्र के आग्रह पर लद्दाख के नेताओं ने केंद्र को मसौदा तो सौंपा, पर उस पर कोई सकारात्मक रुख नहीं अपनाया गया है जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ ही 6ठी अनुसूची को भी लागू करने की मांग की गई थी जबकि ऐसा न होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी व चेतावनी दी गई थी।
राज्य का दर्जा और 6ठी अनुसूची की मांग : जानकारी के लिए लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और 6ठी अनुसूची की मांग करते हुए लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस की सर्वोच्च संस्था ने कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय को एक विस्तृत मसौदा सौंपा था। शीर्ष संस्था के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने पत्रकारों को यह जानकारी दी थी। मसौदे में बताया गया था कि इतिहास, सामरिक महत्व, पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों के साथ समानता और विभिन्न अन्य मापदंडों के आधार पर, लद्दाख राज्य का दर्जा पाने का हकदार है।
और अब विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों और लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) ने लोगों से 3 फरवरी 2024 को निर्धारित 'लेह चलो' आंदोलन में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की है। एक बयान में कहा गया है कि लेह के एनडीएस स्टेडियम में 3 फरवरी को सुबह 10 बजे के आसपास शुरू होने वाले विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य 6ठी अनुसूची से संबंधित प्रमुख मुद्दों के समाधान के लिए सरकार पर दबाव डालना है।
3 फरवरी को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की घोषणा : शीर्ष निकाय के उपाध्यक्ष त्सेरिंग लाक्रोक ने गृह राज्यमंत्री के साथ शीर्ष निकाय और केडीए के बीच एक पूर्व बैठक का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने मांगों की लिखित पुष्टि का अनुरोध किया था। पर कोइ्र सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। वे कहते थे कि विस्तृत मसौदा जमा करने के बावजूद गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। संचार की कमी पर असंतोष व्यक्त करते हुए शीर्ष निकाय ने भारत सरकार की विलंबित और अनदेखी मांगों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए 3 फरवरी को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
लाक्रोक ने इस बात पर जोर दिया कि यह विरोध एक बार की घटना नहीं है और यह भविष्य में भी तीव्र प्रयासों के साथ जारी रहेगा। सोनम वांगचुक की 21 दिनों की भूख हड़ताल के साथ एकजुटता दिखाते हुए सर्वोच्च निकाय ने उनके (वांगचुक के) मुद्दे को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की और लद्दाख के लोगों से उनके साथ खड़े होने का आग्रह किया था।
लोकसभा चुनाव से पहले समाधान हो : लाक्रोक ने जोर देकर कहा कि लद्दाख की मांगों के लिए संघर्ष तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक कि भारत सरकार उन्हें संबोधित नहीं करती। आगामी एमपी चुनाव (लोकसभा चुनाव) की आचार संहिता से पहले समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। चुनाव के दौरान लद्दाख में चल रहे विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल के कारण संभावित गड़बड़ी को स्वीकार करते हुए लाक्रोक ने 4 मांगों पर अंतिम निर्णय के लिए भारत सरकार से अपील की।
उन्होंने लद्दाख के लोगों से लेह चलो आंदोलन में भाग लेने के लिए 3 फरवरी को सुबह 10 बजे एनडीएस स्टेडियम में इकट्ठा होने का आह्वान किया। सवालों का जवाब देते हुए लाक्रोक ने कहा कि केडीए ने भी विरोध का समर्थन किया है और सामूहिक प्रदर्शन में शामिल होंगे।
Edited by: Ravindra Gupta