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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated :जम्मू , शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023 (12:58 IST)

राजौरी व पुंछ में फैला आतंकवाद ले चुका है 36 महीनों में 36 सैनिकों और 12 नागरिकों की जान

राजौरी व पुंछ में फैला आतंकवाद ले चुका है 36 महीनों में 36 सैनिकों और 12 नागरिकों की जान - 36 soldiers and 12 civilians lost their lives in 36 months Terrorism spread in
36 soldiers and 12 civilians lost their lives in 36 months Terrorism spread in : कश्मीर में फैला आतंकवाद अब राजौरी व पुंछ के जुड़वां जिलों में कहर बरपा रहा है। धारा 370 (Article 370) हटाए जाने के उपरांत कश्मीर में सुरक्षाबलों (security forces) का दबाव बढ़ा तो आतंकियों ने राजौरी व पुंछ को अपना नया ठिकाना इसलिए बना लिया, क्योंकि अधिकारी भ्रम पाले हुए थे कि एलओसी से सटे ये दोनों जिले आतंकवाद मुक्त हो चुके हैं तथा शांति लौट चुकी है।
 
यही कारण था कि कल गुरुवार को भी आतंकियों ने 5 और जवानों की हत्या कर दी। इसके साथ ही पिछले 36 महीनों से अर्थात पिछले 3 सालों से एलओसी से सटे राजौरी व पुंछ के जुड़वां जिलों में मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा 36 को पार कर गया। इसी अवधि में 12 नागरिकों की जानें भी आतंकी ले चुके हैं। सेना के लिए गले की फांस बने दोनों जिलों में चिंता इस बात की है कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद स्थानीय नागरिक आतंकवाद की ओर मुड़ने लगे हैं।
 
10 फौजियों को मौत के घाट उतारा : इस साल 22 नवंबर को और अब 21 दिसंबर को 1 माह के अंतराल में आतंकियों ने 10 फौजियों को मौत के घाट उतारकर सभी को चौंकाया है जबकि इसी साल मई में आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में जो हमला किया था, उसके बाद 22 नवंबर और कल की शहादतें फिर से राजौरी के आतंकवाद के इतिहास में एक खूनी अध्याय जोड़ गई हैं। इस साल मई महीने की 6 तारीख को करीब 10 महीनों की शांति के उपरांत आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में सैनिकों पर हमला बोला तो 5 जवान शहीद हो गए।
 
9 हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा था : हालांकि सेना अभी तक इन हमलों में शामिल आतंकियों को न ही पकड़ पाई है और न मार गिराया जा सका है। कहा तो यह भी जा रहा है कि यह एक ही गुट का काम था जिसने फिर से इस साल के पहले महीने की पहली तारीख को ढांगरी में 9 हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया था। 
दोनों जिलों में आतंकियों द्वारा सेना को लगातार निशाना बनाए जाने से सेना की परेशानी सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने की हो गई है।
 
अक्टूबर 2021 के 2 हमलों की ही तरह, जिसमें 9 सैनिक मारे गए थे, इस अरसे में 15 सैनिकों को मारने वाले आतंकी स्नाइपर राइफलों और अति आधुनिक हथियारों से लैस होने के साथ ही क्षेत्र से भली-भांति परिचित होने वाले बताए जाते रहे हैं। एक अधिकारी के बकौल स्थानीय समर्थन के कारण ही वे पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके से राजौरी के कंडी क्षेत्र तक के 50 से 60 किमी के सफर को पूरा कर रहे थे।
 
इस साल अप्रैल तथा मई महीने में 17 दिनों में आतंकियों के हाथों 10 जवानों की मौतें राजौरी व पुंछ के एलओसी से सटे इन जुड़वां जिलों में कोई पहली आतंकी घटना नहीं थी बल्कि 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों ने कश्मीर से इन जुड़वां जिलों की ओर रुख करते हुए पहले सुरनकोट के चमरेर इलाके में 11 अक्तूबर 2020 को 5 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले के 5 दिनों के बाद इसी आतंकी गुट ने पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके में सैनिकों पर एक और घात लगाकर हमला किया तो 4 सैनिक शहीद हो गए। दोनों हमलों में शहीद होने वालों में 2 सैनिक अधिकारी भी शामिल थे।
 
जंग के मैदान में बदल चुके हैं दोनों जिले : 36 महीनों से जंग के मैदान में बदल चुके दोनों जिलों के हालात के प्रति यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि ये अब सेना के गले की फांस बनने लगे हैं। दरअसल, आतंकी 16 अक्तूबर 2021 को भट्टा दुराईं में जिस तरह से 1 महीने तक सैनिकों को छकाते रहे हैं, ठीक उसी रणनीति को अपनाते हुए वे मई महीने में 29 दिनों तक सैनिकों के संयम की परीक्षा भी ले चुके हैं।
 
इन दोनों जिलों में फैली इस जंग के प्रति यही कहा जा रहा है कि मुकाबला अदृश्य दुश्मन से है। ये दुश्मन स्थानीय ओजीडब्ल्यू तो हैं ही, एलओसी के पास होने से उस पार से आने वाले विदेशी नागरिक भी हैं जिन पर भी नकेल नहीं कसी जा सकी है जबकि आतंकी हमलों और नरसंहार की घटनाओं में शामिल सभी आतंकी फिलहाल गिरफ्त से बाहर हैं। 
 
Edited by: Ravindra Gupta
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