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Written By WD

चोरी या डाके का उपद्रव दूरकरने हेतु

चोरी या डाके का उपद्रव दूरकरने हेतु -
हेतु- चोरी या डाके का उपद्रव दूर होता है।

आस्तां तव स्तवनमस्त-समस्त-दोषं त्वत्संकथाऽपि जगतां दुरितानि हन्ति ।
दूरे सहस्रकिरणः कुरुते प्रभैव पद्माकरेषु जलजानि विकासभाञ्जि ॥ (9)

ओह! आपकी स्तवना की बात क्या की जाए? आपके नाम का स्मरण या आपकी कथा-वार्ता भी समूचे दोषों का दहन कर डालती है... सूरज क्यों न सौ-सौ मील दूर रहा हो, पर उसकी कोमल किरणों का मधुर स्पर्श पाते ही सरोवर में शतदल कमल खिल जाते हैं!

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अरिहंताणं णमो संभिण्णसोयाणं ह्राँ ह्रीं ह्रूँ फट् स्वाहा ।

मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्रौं क्लीं रः रः रः हं हः नमः स्वाहा।