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Written By WD

आराधना स्तोत्र

आराधना स्तोत्र -
(1)
हेतु- ऋद्धि-सिद्धि एवं संपदा की प्राप्ति होती है।

भक्तामर प्रणत मौलि-मणि-प्रभाणामुद्योतकं दलित-पाप-तमो वितानम्‌ ।
सम्यक्‌ प्रणम्य जिनपादयुगं युगादौ वालम्बनं भवजले पततां जनानाम्‌ ।

जिनके चरणों में झुके हुए देवों के मुकुट की मणियाँ इतनी तो झिलमिला रही हैं कि मानों पाप के तिमिर को चीर डालती हों... संसार समुद्र में डूबते हुए जनों के लिए सहारा रूप वैसे आदिनाथ तीर्थंकर के चरण-कमल को मैं हार्दिक प्रणाम करता हूँ। (प्रणाम करके स्तवना करूँगा।)

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अरिहंताणं णमो जिणाणं ह्राँ ह्रीं ह्रूँ ह्रौं ह्रः
असिआउसा अप्रतिचंक्रे फट् विचक्राय झौं झौं स्वाहा

मंत्र- ॐ ह्राह्रीह्रूश्रीक्लीब्लूक्रौं ॐ ह्रीनम

(2)
हेतु- नजरबंदएवदृष्टिदोदूहोतहैं

संस्तुतसकल-वाङ्मय-तत्वबोधादुद्भूतबुद्धिपटुभिसुरलोकनाथैः
स्तोत्रैर्जगत्त्रितयचित्तहरैरुदारैस्तोष्यकिलाहमपि प्रथमजिनेन्द्रम्‌

समग्शास्त्रावबोयुक्सूक्ष्प्रज्ञधनदेवेन्द्रोजिनकस्तवनै, प्रथतीर्थंकस्तवनमैत्रैलोक्चित्आह्लादिकरे, वैसस्तोत्रगाद्वारकरूँगा

ऋद्धि- ॐ ह्रीअर्हणमओहिजिणाणं

मंत्र- ॐ ह्रीश्रीक्लीब्लूनमः

(3)
हेतु- दृष्टि दोदूहोतहैं

बुद्ध्‌यविनापि विबुधार्चित-पादपीठ! स्तोतुसमुद्यतमतिर्विगतत्रपोऽहम्‌
बालविहाजलसंस्थितमिन्दुबिम्बमन्यः क इच्छति जनसहसग्रहीतुम्‌

देव-देवेन्द्रोपराजिप्रभो! बुद्धिहीएवलज्जाविहीहोतहुमैआपकस्तवनकरनलालायिहुहूँ! पानमेगिरतचाँप्रतिबिंअबोशिशअलावकौयकायपकड़नलिकरेगा?

ऋद्धि- ह्रीअर्हणमपरमोहिजिणाणं ।

मंत्र- ॐ ह्रीश्रीक्लीसिद्धेभ्यबुद्धेभ्यसर्वसिद्धिदायकेभ्यनमस्वाहा ।

(4)
हेतु- पानउपद्रनष्होतहैं ।

वक्तुगुणान्‌ गुणसमुद्र! शशाᄉकान्तान्‌ कस्तक्षमसुरगुरुप्रतिमोऽपि बुद्ध्‌या ।
कल्पान्त-काल-पवनोद्धत-नक्र-चक्रतरीतुमलमम्बुनिधिभुजाभ्याम्‌

गुणोसमुद्रूस्वामिन्‌, चंद्जैसशीतप्रभो, देवगुरबृहस्पति आपकगुणोआकलन, अपनप्रज्ञजरिकरनमेअसमर्हैं! भलप्रलक्षणोमेभयंकतूफाउद्वेलिहुसमुद्अपनबाँहोतैरनहिम्मकौदिखाएगा?

ऋद्धि- ॐ ह्रीअर्हणमसव्वोहिजिणाणं ।

मंत्र- ॐ ह्रीश्रक्लीजलदेवताभ्यनमस्वाहा ।

(5)
हेतु- नेत्ररोदूहोतहैं

सोऽहतथापि भक्तिवशान्मुनीश! कर्तस्तवविगतशक्तिरपि प्रवृत्तः ।
प्रीत्यात्मवीर्यमविचार्मृगमृगेन्द्रनाभ्येति किनिजाशशोपरिपालनार्थम्‌

शक्तिरहिभक्ति सहिमैमेरमर्यादलाँघकआपकस्तवनकरनसमर्पिबनहूँ... बेचारभोला-भोलहिरअपननन्हछौनबचानलिअपनताकएवऔकापरवाकिबगैक्यशेसामननहीकरतै?

ऋद्धि- ॐ ह्रीअर्हणमअणंतोहिजिणाणं ।

मंत्र- ॐ ह्रीश्रीक्लीक्रौसर्वसंकटनिवारणेभ्यसुपार्श्वयक्षेभ्यनमनमस्वाह