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Written By WD

बुद्धि, स्मरणशक्ति तीव्र बनाने हेतु

भक्तामर-स्तोत्र
हेतु- बुद्धि बढ़ती है, स्मरणशक्ति तीव्र बनती है।

सम्पूर्ण-मंडल-शशांक-कला-कलाप शुभ्रा गुणास्त्रिभुवनं तव लंघयन्ति ।
ये संश्रितास्त्रिजगदीश्वर! नाथमेकं कस्तान्निवारयति संचरतो यथेष्टम्‌ ॥ (14)

हे त्रिभुवन के स्वामिन! सोलह कला से विकसित पूनम के चाँद जैसे तेरे श्वेत शुभ्र गुणों से यह समूचा त्रिलोक व्याप्त हो गया है। तेरे एक में समाए हुए इन गुणों को भी (तेरी कीर्ति को) तीन लोक में फैलने से कौन रोक सकता है?

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो विउलमईणं ।

मंत्र- ॐ नमो भगवत्यै गुणवत्यै महामानस्यै स्वाहा ।