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Last Modified: रविवार, 20 अक्टूबर 2019 (14:22 IST)

PM मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को चकनाचूर कर देगा IUC पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर : Jio

PM मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को चकनाचूर कर देगा IUC पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर : Jio - trais consultation paper on iuc will shatter pms dream jio
नई दिल्ली। रिलायंस जियो (Reliance jio) ने कहा है कि ट्राई द्वारा IUC पर जारी कंसल्टेशन पेपर प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को तोड़ने वाला है।
 
जियो ने IUC को खत्म करने की समय`सीमा से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को मनमाना, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित, और गरीब विरोधी करार दिया।
 
ट्राई पर निशाना साधते हुए जियो ने कहा कि IUC पर ट्राई के मनमाने रवैए से रेगुलेटर की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा। साथ ही टेलीकॉम क्षेत्र में निवेशकों के भरोसे पर भी चोट लगेगी। गौरतलब है कि जियो अब तक IUC के लिए 13 हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा दूसरी कंपनियों को दे चुकी है।
 
रिलायंस जियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के विज़न के मुताबिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर देश के हर नागरिक का हक है, लेकिन IUC को बनाए रखने की इच्छा प्रधानमंत्री के इस विज़न को चकनाचूर कर दिया है।
 
कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर चाहते हैं कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क सदा बना रहे और देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक, जो 2जी नेटवर्क से जुड़े हैं, डिजिटल क्रांति के फलों से वंचित रह जाएं। कंसल्टेशन पेपर जारी कर ट्राई इन टेलीकॉम ऑपरेटरों के निहित स्वार्थ को बचाए रखना चाहती है।

ट्राई को अपने जवाब में रिलायंस जियो ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड न करने के ढेरों बहाने हैं। लगता है वे जानबूझ कर ऐसा नही करना चाहते। वे अपने 2जी ग्राहकों का विभिन्न तरीकों से शोषण कर रहे हैं।
 
ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉइस कॉलिंग के पैसे वसूलते हैं जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह फ्री है। खराब क्वालिटी और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से यह 2जी ग्राहक डिजिटल सोसाइटी का हिस्सा भी नही बन पाते।
 
प्रधानमंत्री का सपना ‘ईज ऑफ लिविंग’ यानी आराम से जीने के हक भी इससे बाधित होता है। IUC पर ट्राई के कंसल्टेशन पेपर से उन ऑपरेटर्स को बल मिलेगा, जो 2जी से 4जी में अपग्रेड करने में आनाकानी कर रहे हैं।

IUC को जारी रखने के पक्ष में तर्क दिया जा रहा है कि कुछ टेलीकॉम कंपनियों की वित्तीय हालात काबू में नही हैं, इसलिए IUC को जारी रखना जरूरी है। रिलायंस जियो के मुताबिक इस तर्क में कोई दम नही है। IUC की रकम इतनी बड़ी नहीं होती कि कई हजार करोड़ की कंपनियों की वित्तीय हालात पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े।
 
रिलायंस जियो का कहना है कि वित्तीय हालात का रोना रोने वाली कंपनियां इसे एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। दरअसल तो वह नए निवेश से बचना और 2जी नेटवर्क को जारी रखना चाहती हैं।

रिलायंस जियो ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के 18 सितंबर को IUC पर जारी कंसल्टेशन पेपर का जबाव देते हुए कहा कि यह कंसल्टेशन पेपर जल्दबाजी में और बिना किसी सोच-विचार के जारी कर दिया गया है।
 
ट्राई के ढुलमुल रवैए की वजह से अगर IUC को समाप्त करने में देरी की गई तो यह फ्री वॉइस कॉलिंग व्यवस्था को खत्म कर देगा,  जो ग्राहक के हक में नहीं होगा।
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