डेयरडेविल्स के सामने रायल्स की चुनौती
गत उपविजेता मुंबई इंडियंस के हाथों अपने ही मैदान पर करारी शिकस्त झेलने के बाद दिल्ली डेयरडेविल्स मंगलवार को जब यहाँ राजस्थान रायल्स से भिड़ेंगे तो उनके लिए आईपीएल-चार में जीत की राह पर लौटना कतई आसान नहीं होगा। डेयरडेविल्स को जहाँ टूर्नामेंट के पहले ही मैच में इंडियंस ने आठ विकेट से करारी शिकस्त थमा दी थी वहीं आईपीएल के पहले संस्करण के विजेता रायल्स ने एक और पूर्व चैंपियन डेक्कन चार्जर्स पर आठ विकेट से धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इस तरह रायल्स के कप्तान शेन वार्न की कोशिश जीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने की होगी जबकि डेयरडेविल्स के कप्तान वीरेन्द्र सहवाग पर टीम को जीत की राह पर डालने की जिम्मेदारी होगी। सहवाग इस मैच के लिए अंतिम एकादश में बदलाव के संकेत दे चुके हैं जबकि वार्न विजयी संयोजन के साथ ही उतरेंगे।डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी पूरी तरह सहवाग और डेविड वार्नर की ओपनिंग जोड़ी पर निर्भर है और यही कमजोरी टीम को मुंबई इंडियंस के खिलाफ भारी पड़ी। इन दोनों के सस्ते में आउट होने के बाद दिल्ली का अनुभवहीन मध्यक्रम दबाव में आ गया और टीम महज 95 रन पर सिमट गई। हालाँकि कप्तान सहवाग ने मैच के बाद कहा था कि उनकी टीम के खिलाड़ी युवा हैं और वे इस मैच से जरूर कुछ न कुछ सीखकर अगले मैचों में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा हमें पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा है लेकिन एक कप्तान के तौर पर मैं अपने खिलाड़ियों का पूरा समर्थन करता हूँ। टीम अगले मैचों में बेहतर संयोजन के साथ उतरेगी जीत की लय पर लौट सके।गेंदबाजी के लिए सहवाग ने माना कि टीम को एक विश्वस्तरीय स्पिनर की कमी इस मैच में खली। अगले मैचों में एकमात्र अच्छे भारतीय स्पिनर को उतारने की कोशिश की जाएगी। टीम के प्रमुख गेंदबाज मोर्न मोर्कल के लिए सहवाग ने कहा कि उन्हें भारतीय पिचों पर अपनी गेंदों में विविधता लाने की कोशिश करनी होगी।डेयरडेविल्स ने इंडियन के खिलाफ जो प्रदर्शन किया उसके दम पर टीम रायल्स के खिलाफ मैच जीतने की उम्मीद कतई नहीं कर सकती है। बल्लेबाजी में टीम को सहवाग और वार्नर पर निर्भरता कम करनी होगी। एरोन फिंच और इरफान पठान पर रायल्स के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा। मुंबई के खिलाफ फिंच केवल आठ रन बना पाए थे जबकि पठान का तो खाता भी नहीं खुला।टूर्नामेंट के पहले दो संस्करणों में सेमीफाइनल तक पहुँची दिल्ली के पास इस बार ऐसी टीम नहीं है जिससे अंतिम चार में पहुँचने की आशा की जा सके। हालाँकि कोच ग्रेग शेपर्ड का कहना है कि उनके पास बडे नाम नहीं हैं लेकिन बड़ा जज्बा है लेकिन मुंबई के खिलाफ टीम ने जैसा खेल दिखाया उसमें तो कम से कम जज्बा तो कहीं नजर नहीं आया। दूसरी तरफ 2008 की चैंपियन राजस्थान रायल्स युवा और अनुभवी खिलाड़ियों के दम पर एक बार फिर अपने चमत्कारिक कप्तान वार्न के साथ चमत्कार करने को तैयार है। टीम ने चार्जर्स के खिलाफ जिस धमाकेदार अंदाज में जीत दर्ज की उससे उसका मनोबल कई गुना बढ़ गया है।वार्न ने टीम के खिलाड़ियों में गजब के आत्मविश्वास का संचार किया है और एक ईकाई के रूप में यह टीम कुछ भी कर सकती है। इसी का असर था कि अमिल पौनिकर ने टीम के ऑस्ट्रेलियाई ओपनर शेन वॉटसन की कमी पूरी करते हुए चार्जर्स के गेंदबाजों प्रज्ञान ओझा और डेल स्टेन की जमकर धुनाई की।राहुल द्रविड़ को ओपनिंग और दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर योहान बोथा को तीसरे नंबर पर भेजकर वार्न ने जो दाव खेला वह कामयाब रहा। द्रविड़ ने एक छोर संभालते हुए 28 रन की पारी खेली जबकि बोथा ने नाबाद 67 और रोस टेलर ने नाबाद 21 रन बनाते हुए टीम को जीत की मंजिल पर पहुँचा दिया।लेकिन राजस्थान की सबसे बड़ी ताकत उसकी गेंदबाजी है। पिछले मैच में उसके गेंदबाजों ने चार्जर्स को 137 रन के मामूली स्कोर पर रोक दिया था। सिद्धार्थ त्रिवेदी और अमित सिंह टीम के मुख्य हथियार हैं। विशेषकर त्रिवेदी ने तो साबित किया है कि वह किसी भी परिस्थिति में विविधतापूर्ण गेंदबाजी करने में सक्षम हैं।वार्न चतुर कप्तान होने के साथ-साथ अब भी दुनिया के बेहतरीन लेग स्पिनर हैं। उन्होंने अपनी शानदार गेंदबाजी से चार्जर्स के बल्लेबाजों को लगातार परेशान किया और डेयरडेविल्स के खिलाफ भी उनसे ऐसे ही प्रदर्शन की आशा है। कुल मिलाकर दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए राजस्थान रायल्स को उसी की जमीन पर हराना आसान नहीं होगा। (भाषा)