Last Modified: वॉशिंगटन ,
गुरुवार, 3 जुलाई 2014 (15:59 IST)
गर्भपात पर अमेरिकी कोर्ट के फैसले पर बवाल
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वॉशिंगटन। गुरुवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गर्भपात विरोधी और गर्भपात समर्थक अधिकार गुटों में नाराजगी फैल गई है। कोर्ट ने मैसाचुएट्स में गर्भपात क्लीनिक्स के बाहर 35 फुट विरोध मुक्त क्षेत्र रखने के फैसले को रद्द कर दिया। न्यायाधीश इस बात को लेकर एकमत थे कि अस्पतालों से प्रवेश द्वारों तक एक बफर जोन को 35 फुट तक बढ़ाने से प्रदर्शनकारियों के फर्स्ट अमेडमेंट अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट के इस फैसले से पहले से ही विवादास्पद गर्भपात विरोधी अधिकारों के सर्मथकों और गर्भपात समर्थक अधिकारों के लोगों के बीच असंतोष की आग भड़केगी।
प्लान्ड पेरेंटहुड फेडरेशन ने फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि यह अमेरिकी महिलाओं के प्रति असम्मान का तकलीफदेह स्तर दर्शाता है। संगठन ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि अमेरिकी महिलाओं को बिना किसी बाधा के अपने मेडिकल फैसले लेने की छूट होनी चाहिए। जबकि प्रो-लाइफ एक्शन लीग ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। इसके कार्यकारी निदेशक एरिक शीडलर का कहना है कि हम इस फैसले को एक ऐसे अवसर के रूप में देखते हैं जिसके तहत अधिकाधिक लोगों को साइडवाक सलाह के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा, वे गर्भपात ग्राहकों तक पहुंच सकेंगे और ये ग्राहक जीवन का अधिकार चुन सकेंगे।
यह मामला तब सामने आया था जब बोस्टन क्षेत्र की एक दादी एलीनर मैककुलेन और अन्य गर्भपात विरोधियों ने बोस्टन, स्प्रिंगफील्ड और वोरसेस्टर में प्लांड पेरेंटहुड हैल्थ सेंटर्स पर उनकी गतिविधियों को सीमित करने के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया था। उनका कहना था कि बाद के दो स्थानों पर उनकी कार से आने वाले मरीजों से उनके मिलने की बहुत कम संभावना थी क्योंकि उन्हें इमारत के पार्किंग लॉट्स के प्रवेश से 35 फुट दूर रहना होता था। संगठन महिलाओं को अपने क्लीनिक्स में कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
वर्ष 2007 में 35 फुट जोन के प्रभावी होने से पहले विरोध प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों के प्रवेश द्वारों पर ही खड़े रह सकते थे और बीमार लोगों को दबा देते थे। संगठन का कहना है कि फैसले से बफर जोन ने मरीजों की तकलीफों को बहुत हद तक कम कर दिया है और इससे क्लीनिक के कर्मचारी भी प्रभावित नहीं होंगे।
...और इस फैसले पर व्हाइट हाउस की आपत्ति : इस बीच एक दूसरे फैसले पर आपत्ति लेते हुए व्हाइट हाउस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महिलाओं का स्वास्थ्य संकट में पड़ सकता है। विदित हो कि सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि निजी तौर पर चलाई जाने वाली कंपनियों के प्रमुख धार्मिक आधार पर राष्ट्रपति बराक ओबामा की महत्वाकांक्षी हेल्थ केयर कानून पर आपत्ति कर सकते हैं और इसके चलते उन्हें कवरेज प्लान्स के तहत बर्थ कंट्रोल को शुल्क मुक्त उपलब्ध कराना होगा।
यह फैसला वैचारिक आधार पर बंटा था और कोर्ट ने 5-4 के अंतर से फैसला सुनाया था। कोर्ट का कहना था कि कंपनियां अफोर्डेबल केयर एक्ट (एसीए) के अंतर्गत गर्भनिरोध के अनिवार्य कवरेज से छूट मांग सकती हैं। इसलिए इस फैसले का अर्थ यह है कि कुछ कर्मचारियों को गर्भ निरोध के कुछ तरीकों जैसे मॉर्निंग आफ्टर पिल आदि लेना पड़ सकता है और इन्हें वे दूसरे स्रोतों से प्राप्त करेंगे। इस मामले में ओबामा प्रशासन का कहना है कि यह फैसला महिलाओं के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है।
इस संबंध में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश एर्नेस्ट का कहना है कि लाभ कमाने वाली कंपनियों के मालिकों को उनके निजी धार्मिक विचारों को लागू करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और वे इस तरह से संघीय सरकार द्वारा अनिवार्य बनाए गए लाभों से वंचित नहीं किए जा सकते हैं। हालांकि इस मामले में कोर्ट का कहना है कि यह फैसला केवल गर्भ निरोध उपायों पर ही लागू होगा और कंपनियां इस तरह के दावे अन्य बीमा जरूरतों के लिए नहीं कर सकेंगे।