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Written By भाषा

अब एनएसजी में भारत का इम्तिहान

परमाणु व्यापार को लेकर बैठक गुरुवार से

अब एनएसजी में भारत का इम्तिहान -
भारत को परमाणु व्यापार की मंजूरी देने के मुद्दे पर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की दो दिवसीय विशेष बैठक गुरुवार को होने जा रही है। भारतीय वार्ताकार इस बाधा को पार लगाने के लिए बुधवार को लॉबिंग में जुटे रहे।

परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत जैसे देशों को एनएसजी छूट प्रदान करने पर ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और आयरलैंड के एतराज के बीच विदेश सचिव शिवशंकर मेनन एनएसजी के वर्तमान अध्यक्ष जर्मनी और दो अन्य प्रमुख सदस्यों को इसकी जानकारी देंगे।

भारतीय शिष्टमंडल की अध्यक्षता कर रहे मेनन बुधवार को यहाँ पहुँचे। उनके साथ परमाणु ऊर्जा के सामरिक विकास निदेशक रवि ग्रोवर भी हैं। मेनन जर्मनी दक्षिण अफ्रीका और हंगरी की तिकड़ी के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करेंगे।

उल्लेखनीय है अमेरिका के साथ भारत के परमाणु करार को कार्यान्वित करने के लिए 45 सदस्यीय एनएसजी से छूट मिलना अनिवार्य है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का वर्तमान अध्यक्ष जर्मनी है। दक्षिण अफ्रीका पूर्व अध्यक्ष है, जबकि अगला अध्यक्षीय पद हंगरी के खाते में जाएगा।

तिकड़ी के साथ बैठक का प्रस्ताव जर्मनी ने दिया है, ताकि भारत को अपने परमाणु कार्यक्रम से संबंधी किसी अंदेशे को दूर करने का मौका मिले। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसका परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड बेदाग है।

गौरतलब है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा भारत को दी जाने वाली संभावित छूट पर आयरलैंड आपत्ति जताता रहा है। आयरलैंड सरकार ने कहा भारत के साथ परमाणु सहयोग पर निर्णय के लिए एनएसजी की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक से पूर्व इस जटिल मुद्दे पर जारी चर्चा में वह सक्रियता से हिस्सा ले रहा है।

सूत्रों के मुताबिक आयरलैंड भारत को असैनिक परमाणु सहयोग के लिए एनएसजी के दिशा-निर्देशों में छूट देने के संदर्भ में हाल ही वितरित किए गए अमेरिकी प्रस्ताव के मसौदे को परख रहा है। मसौदे का परमाणु अप्रसार समझौते तथा परमाणु अप्रसार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा। तीन वर्ष पहले जब इस प्रस्ताव पर पहली बार चर्चा हुई थी को हम इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। इसमें विशेष तौर पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार का मुद्दा शामिल है।

गौरतलब है कि आयरलैंड पहला देश था, जिसने पिछले वर्ष सितंबर में 123 समझौते पर प्रश्नों की सूची जारी की थी। कुछ सदस्यों खास तौर पर न्यूजीलैंड को अमेरिका की ओर से वितरित मसौदा छूट नोट पर कथित रूप से आपत्तियाँ हैं। ये देश चाहते हैं कि परमाणु कार्टेल करार को कोई हरी झंडी दिखाने से पहले तीन शर्तें पेश करें।

न्यूजीलैंड और कुछ अन्य देश जिन शर्तों को आगे बढ़ाना चाहते हैं, वे कथित रूप से नियमित समीक्षा भावी परमाणु परीक्षण और संवर्धन एवं पुनः संवर्धन प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण से जुड़ी हैं। भारत के साथ परमाणु व्यापार का निर्धारण करने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की महत्वपूर्ण बैठक से पहले चीन ने आज अपना पक्ष जाहिर नहीं करने का विकल्प चुना।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता किन गेंग ने कहा चीन का मानना है कि परमाणु अप्रसार के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के बावजूद दुनिया के तमाम देशों को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने का अधिकार है।