अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल 2025 से "जैसे को तैसा" टैरिफ (reciprocal tariffs) लगाने का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी भारत के सामानों पर उतना ही टैक्स लगाएगा। भारत अमेरिका को हर साल 87 अरब डॉलर का सामान भेजता है, जैसे दवाइयां, गहने, और कार के पार्ट्स। ट्रम्प का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर बहुत ज्यादा टैक्स (17% औसत, खेती में 39%) लगाता है, जबकि अमेरिका सिर्फ 3.3% टैक्स लेता है। इसीलिए वो इसे "नाइंसाफी" मानते हैं।
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2 अप्रैल से ये टैरिफ शुरू होने के बाद भारत के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। खासकर 7 अरब डॉलर के सामान को खतरा है। जिन चीजों पर असर होगा, उनमें झींगा, दूध की चीजें, कारें, और स्टील शामिल हैं। भारत की अर्थव्यवस्था, जो 2024-25 में 6.5% बढ़ने की उम्मीद थी, कमजोर हो सकती है। लेकिन भारत ने डरने की बजाय कुछ कदम उठाए हैं, जैसे फरवरी 2025 में 8,500 सामानों पर टैक्स कम करना। फिर भी, सवाल ये है कि क्या ये काफी होगा?
ट्रैरिफ का इतिहास: भारत में टैरिफ की कहानी पुरानी है। आजादी के बाद नेहरू ने "आत्मनिर्भरता" की नीति बनाई, जिसमें बाहर के सामानों पर ऊंचा टैरिफ था। 1991 में पैसों का संकट आया, तो टैरिफ कम करके 2008 तक 10% कर दिया गया। लेकिन मोदी की "मेक इन इंडिया" योजना से कुछ चीजों (जैसे मोबाइल) पर टैरिफ फिर बढ़ा और 2021 में औसत 14.3% हो गया। ट्रम्प के दबाव से बचने के लिए भारत ने फरवरी 2025 में 8,500 चीजों पर टैरिफ कम किया, जैसे हार्ले-डेविडसन बाइक और बॉर्बन व्हिस्की।
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अब बड़ा सवाल भारत क्यों डरे और अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?
निर्यात पर खतरा: भारत अमेरिका को 87 अरब डॉलर का सामान भेजता है। अगर ट्रम्प भारत से आने वाली चीजों पर 10-25% टैक्स लगाए, तो ये सामान महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी लोग कम खरीद सकते हैं, और भारत का 7 अरब डॉलर का निर्यात घट सकता है। खेती (झींगा, डेयरी), कार, और दवाइयों जैसे क्षेत्रों में नौकरियां और कमाई कम हो सकती हैं। मिसाल के लिए, स्टील पर 25% टैक्स से भारत का स्टील अमेरिका में बिकना मुश्किल हो जाएगा।
अर्थव्यवस्था पर असर: भारत की विकास दर 6.5% रहने की उम्मीद थी, लेकिन टैरिफ से ये 0.1-0.6% तक कम हो सकती है। इसका मतलब है कि कारखानों में काम कम होगा, और लोगों की जेब में पैसे कम आएंगे। रुपये की कीमत भी गिर सकती है, क्योंकि विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकाल सकते हैं। इससे चीजें महंगी हो सकती हैं।
डर की वजह: ट्रम्प ने भारत को "टैरिफ किंग" कहा है और पहले भी शिकायत की थी कि भारत अमेरिकी सामानों (जैसे हार्ले-डेविडसन बाइक) पर 100% तक टैक्स लगाता है। वो इसे बदलना चाहते हैं। अगर भारत जवाब में अमेरिका पर टैक्स बढ़ाए, तो दोनों देशों के बीच व्यापार जंग शुरू हो सकती है, जो भारत के लिए नुकसानदेह होगी। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त है, और वहाँ से सालाना 46 अरब डॉलर का फायदा होता है।
2 अप्रैल 2025 के बाद क्या होगा?
नुकसान: 2 अप्रैल से टैरिफ लागू होने पर भारत के छोटे कारोबारियों को मुश्किल होगी। मिसाल के लिए, कपड़ा और जूते जैसे सामान पर 15-35% टैक्स लग सकता है, जिससे उनकी बिक्री घटेगी।
मौके: अगर भारत स्मार्ट तरीके से जवाब दे, तो फायदा भी हो सकता है। भारत ने पहले ही टैक्स कम करके अमेरिका को खुश करने की कोशिश की है। साथ ही, अमेरिका भारत से जेट विमान और गैस खरीदना चाहता है। टैरिफ कम करने से भारत में विदेशी कंपनियाँ आ सकती हैं, जैसे स्मार्टफोन और ऑटो सेक्टर में निवेश बढ़ा है। अगर भारत रक्षा और गैस जैसे क्षेत्रों में अमेरिका को मदद दे, तो दोनों देशों का व्यापार 500 अरब डॉलर तक जा सकता है। लेकिन इसके लिए भारत को अपनी कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना होगा, जैसा आरबीआई के पूर्व गवर्नर विरल आचार्य ने कहा।
भारत यूरोप, अफ्रीका, और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे बाजारों में अपने सामान भेज सकता है, ताकि अमेरिका पर कम निर्भर रहे। उदाहरण के लिए, यूरोप के बाजार में जगह बनाने की कोशिश करे। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ भारत का व्यापार 2023-24 में 120 अरब डॉलर था, और ईयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साथी है, इससे "मेक इन इंडिया" से को बढ़ावा मिलेगा।
चीन का कोण: चीन के साथ भारत के रिश्ते बेहतर हो रहे हैं, खासकर सीमा विवाद सुलझने के बाद। लेकिन ट्रम्प की नीति से भारत को फायदा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका चीन से दूरी बनाना चाहता है। भारत इस मौके का इस्तेमाल करके अमेरिकी बाजार में अपनी जगह बढ़ा सकता है।
ब्रिक्स और डॉलर का खेल: ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी कि अगर वो डॉलर को हटाने की कोशिश करेंगे, तो 100% टैक्स लगेगा। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वो डॉलर के खिलाफ नहीं है। इससे अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत रह सकते हैं। ट्रम्प की 100% टैरिफ की धमकी ब्रिक्स देशों को डराने के लिए है। चीन और रूस डॉलर को हटाना चाहते हैं, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वो इस दौड़ में नहीं है। जयशंकर का बयान दिखाता है कि भारत अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते को प्राथमिकता देता है। क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान) में भारत की भूमिका भी इसे मजबूत करती है।
भारत की तैयारी और रास्ता: भारत ने फरवरी 2025 में हार्ले-डेविडसन और व्हिस्की जैसे सामानों पर टैक्स घटाया, ताकि ट्रम्प नाराज न हों। नई रणनीति: भारत यूरोप, अफ्रीका, और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे बाजारों में अपने सामान भेज सकता है, ताकि अमेरिका पर कम निर्भर रहे। "मेक इन इंडिया" से देश में बनी चीजों को बढ़ावा मिलेगा।
अमेरिका से कूटनीतिक बातचीत: पहले पीयुष गोयल अमेरिका गए और उसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते "बेहतरीन" हैं। अगर भारत अमेरिका को रक्षा सौदों में मदद दे, तो टैरिफ का असर कम हो सकता है। कुल जमा बात है कि ट्रम्प के टैरिफ से भारत को डरने की जरूरत नहीं है, अगर वो सही कदम उठाए तो। 2 अप्रैल के बाद अर्थव्यवस्था पर असर होगा—निर्यात घटेगा, विकास दर कम हो सकती है— लेकिन ये बहुत बड़ा झटका नहीं होगा।
भारत की ताकत उसकी घरेलू मांग और समझदारी भरी नीतियों में है। टैरिफ से नुकसान होगा, लेकिन मौके भी मिलेंगे। अगर भारत अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत रखे, वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहे और नए बाजार ढूंढे, तो वो इस चुनौती को पार कर सकता है। फिलहाल डरने से ज्यादा, तैयार रहने की जरूरत है।