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Last Updated : शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017 (17:02 IST)

क्या वाइकिंग्स मुस्लिम थे

क्या वाइकिंग्स मुस्लिम थे - Vikings
लंदन। एक नए शोध से यह जानकारी हासिल हुई है कि पूर्व के स्केंडनेवियाई जलदस्यु (वाइकिंग्स) मुस्लिम हो सकते हैं। वाइकिंग युग के नावों के एक कब्रिस्तान में जो कपड़े मिले हैं, उनमें वे कपड़े भी हैं जिन्हें पहनाकर इन लोगों को दफनाया जाता था। इनके सिल्क के बुने कपड़ों के बैंड पर अरबी भाषा में 'अल्लाह' लिखा है। इससे निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि वाइकिंग्स मुस्लिम धर्म से जुड़े हो सकते हैं। 
 
शोधकर्ताओं का कहना है कि जो कपडे मिले हैं वे नौवीं और दसवीं सदी के हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कपड़ों पर जो डिजाइन बुनी गई है उनमें 'अल्लाह' और 'अली' नामक शब्द हैं। कपड़ों की यह खोज स्वीडन में हुई और इस खोज से यह सवाल उठाए जाने लगे हैं कि क्या स्केंडनेविया पर भी इस्लाम का प्रभाव पड़ा। 
 
इस मामले में वस्त्र पुरातत्ववेता एनिका लार्सन का कहना है कि यह कपड़ा मध्य एशिया, पर्सिया और चीन से आता था। उपासला यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञ लार्सन ने बीबीसी को बताया कि कपड़ों पर छोटे-छोटे ज्यामितीय डिजाइन स्केंडनेवियाई पैटर्न पर नहीं है वरन यह प्राचीन अरबी भाषा की क्यूफिक डिजाइन है। क्यूफिक डिजाइन वह होती है जोकि अरबी अक्षरों के घुमावदार प्रकार हैं जोकि कुरान में लिखे अक्षरों से अलग हैं। 
 
उनका कहना है कि कपड़ों पर जो ज्यामितीय डिजाइनें बनाई गई हैं, उनका कोई स्केंडनेवियाई पैटर्न नहीं है लेकिन इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कब्रों में रखे गए कुछ लोग मुस्लिम हो सकते हैं। उनके अनुसार हमें पता है कि जो लोग इन स्थानों पर दफन हैं, उनमें से कुछ लोग पर्सिया में पैदा हुए थे जहां इस्लाम बहुत प्रभावी था।  
 
लेकिन इस बात की अधिक संभावना है कि वाइकिंग युग के दफनाने के रीति रिवाज इस्लामी विचारों से प्रभाव‍ित हों। जैसेकि उनका मानना है कि मौत के बाद जन्नत में एक चिरकालिक जीवन मिलता है। यह पहला मौका है जबकि स्केंडनेविया में पहली बार 'अली' नाम का उल्लेख हुआ है। अब विशेषज्ञों की टीम यह निश्चित करना चाहती है कि मृत व्यक्ति कहां से आए थे। लार्सन को भरोसा है कि वाईकिंग्स  युग की खोजों से और अधिक इस्लामी विवरणों को पाया जा सकता है।
 
डेली मेट्रो में प्रकाशित लेख के अनुसार लंदन में इस्लामिक स्टडीज कॉलेज के प्रोग्राम लीडर अमीर ड‍ि मार्टिनो का कहना है‍ कि ये नमूने न तो मुख्य धारा की शिया संस्कृत‍ि से हैं और न ही किसी बाहरी  आंदोलनों से हैं वरन ये गलत तरीके नकल किए गए बुनावट के हैं।