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Last Modified: गुरुवार, 18 अगस्त 2016 (15:40 IST)

अमेरिकी विशेषज्ञों ने मोदी की बलूचिस्तान नीति पर मांगा स्पष्टीकरण

अमेरिकी विशेषज्ञों ने मोदी की बलूचिस्तान नीति पर मांगा स्पष्टीकरण - US expert on narendra Modi Balochistan and pok Policy
वाशिंगटन। दक्षिण एशिया से जुड़े मामलों के शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर का जिक्र भारत की पाकिस्तान नीति में बदलाव का संकेतक बताया है और पाकिस्तान के इन अशांत क्षेत्रों के प्रति नई दिल्ली के नए रुख के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण मांगा है।
अमेरिका की अफ-पाक नीति के निर्धारण और बाद में रक्षा मंत्रालय में अहम भूमिका निभा चुके विक्रम जे सिंह ने कहा, 'वह (मोदी) या तो देश के चरमपंथियों का तुष्टीकरण कर रहे हैं या फिर भविष्य की चर्चाओं में भारत का पक्ष मजबूत करने के प्रयास के तहत पाकिस्तान को जानबूझकर एक संकेत दे रहे हैं।'
 
वाशिंगटन डीसी स्थित अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अंतरराष्ट्रीय नीति के उपाध्यक्ष सिंह ने चेतावनी दी, 'यदि इसके पीछे की वजह दूसरी (पाकिस्तान को संकेत देना) है तो यह उल्टा पड़ सकता है लेकिन यह जोखिम उठाए जाने योग्य है।' उन्होंने कहा कि अब तक मोदी ने पाकिस्तान के साथ काम करने और एक कड़ा रुख अख्तियार करने, दोनों की ही इच्छाशक्ति दिखाई है।
 
बहरहाल, सिंह का मानना है कि मोदी के सामने बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि अधिकतर कश्मीरियों का जुड़ाव भारत के साथ हो न कि वहां असंतोष और विरोध उपजे। ठीक इसी तरह पाकिस्तान को बलूच लोगों के संदर्भ में करना है। सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'दीर्घकालिक तौर पर धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक और बयानबाज लोगों की तुलना में स्थानीय लोग दीर्घकालिक स्थिरता के लिए ज्यादा महत्व रखते हैं। राजनीतिक लाभों के लिए चरमपंथियों के तुष्टीकरण से खराब नीतिगत नतीजे आते हैं।'
 
रिपब्लिकन पार्टी के करीबी माने जाने वाले शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक हेरीटेज फाउंडेशन की लिजा कर्टिस ने कहा, 'इस साल स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति की लय में एक बदलाव का संकेत देता है।' लिजा ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस साल मोदी द्वारा की गई लाहौर की सदभावना यात्रा के महज छह दिन बाद ही पठानकोट एयरबेस पर हमले न मोदी और उनके सलाहकारों के सामने पाकिस्तान के साथ वार्ता करने की निर्थकता को रेखांकित कर दिया है।
 
मनमोहन सिंह की सरकार ने आतंकी हमलों के बावजूद वार्ताओं के साथ धैर्य बनाए रखा। ऐसा कहा जा सकता है कि उस धर्य से भारत को बहुत थोड़ा ही लाभ हुआ।
 
लिजा ने कहा, 'तब भी, बलूचिस्तान के जिक्र से जमीनी स्तर पर भारत द्वारा कोई नए महत्व कदम उठाए जाने की संभावना नजर नहीं आती। ऐसा लगता है कि मोदी यह रेखांकित करते हुए नजर आ रहे हैं कि पाकिस्तानी आतंकी उकसावों के मामले में उनकी सरकार अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में कम धैर्यवान रहेगी। (भाषा)
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