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Last Modified: सोमवार, 26 सितम्बर 2016 (21:46 IST)

कश्मीर को भारत से अलग करने का ख्वाब छोड़ दे पाकिस्तान : सुषमा

कश्मीर को भारत से अलग करने का ख्वाब छोड़ दे पाकिस्तान : सुषमा - UN General Assembly, Sushma Swaraj
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने पाकिस्तान को आज कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि वह जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने का ख्वाब छोड़ दे क्योंकि उसका यह मंसूबा कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71 वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान यदि यह समझता है कि वह आतंकवाद फैलाकर और भड़काऊ बयान देकर भारत का कोई हिस्सा छीन सकता है तो उसका यह मंसूबा कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। 
          
श्रीमती स्वराज ने महासभा में 21 सितम्बर को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संबोधन का हवाला देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान समझता है कि ऐसी हरकतें करके तथा भड़काऊ बयान देकर वह भारत का कोई हिस्सा छीन सकता है तो मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि आपका यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा, आप ख्वाब देखना छोड़ दें। 

श्रीमती स्वराज ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के शरीफ के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि 'जिनके अपने घर शीशे के हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।' इस संदर्भ में उन्होंने बलूचिस्तान का उल्लेख करते हुए सवाल किया कि वहां क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि वहां जो किया जा रहा है, वह यातनाओं की पराकाष्ठा है।
           
उन्होंने पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए भारत द्वारा शर्ते लगाए जाने के शरीफ के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत ने कौन सी शर्त लगाई है। उन्होंने कहा कि हमने शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए शरीफ को न्यौता देते समय कौनसी शर्त रखी थी। मैं खुद इस्लामाबाद गई थी और समग्र बातचीत के लिए क्या कोई शर्त रखी थी। प्रधानमंत्री मोदी भी काबुल से लौटते हुए लाहौर उतर गए थे,क्या वह कोई शर्त लगाकर वहां गए थे। 
           
श्रीमती स्वराज ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि भारत ने मित्रता के आधार पर सभी विवाद सुलझाने की पहल की।  कभी ईद तो कभी क्रिकेट से जुड़ी बधाई दी तो कभी स्वास्थ्य का कुशलक्षेम पूछकर पहल की। भारत ने दो वर्ष में मित्रता का ऐसा पैमाना खड़ा किया जो इससे पहले कभी नहीं था। लेकिन हमें मिला क्या, कभी बहादुर अली तो कभी पठानकोट और कभी उरी। 
 
उन्होंने कहा, मैं पूछना चाहती हूं कि हम शर्तें लगा रहे हैं कि आप द्वेष निभा रहे हैं। बहादुर अली तो हमारे पास जिंदा सबूत है। श्रीमती स्वराज ने कहा कि बहादुर अली पाकिस्तान से भारत में किए जा रहे सीमा पार आतंकवाद का जीता जागता सबूत है। लेकिन पाकिस्‍तान को जब इन घटनाओं के बारे में बताया जाता है, तो वो तुरंत इंकार करके पल्ला झाड़ लेता है।
      
उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे देशों को चिह्नित करने और अलग थलग करने की जरूरत है, जो आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं और जिनके यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जुलूस निकालते हैं और प्रदर्शन करते हैं लेकिन वे देश उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। उन्होंने कहा कि ऐसे देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 
       
विदेश मंत्री ने कहा कि इस बात का पता लगाना होगा कि आतंकवादियों को कौन पनाह देता है? उनका न तो अपना कोई बैंक है और न ही हथियारों की फैक्ट्री फिर उन्हें धन कहां से मिलता है और उन्हें सहारा और संरक्षण देने वाले कौन हैं?
        
श्रीमती स्वराज ने आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए मतभेद भुलाकर, पुराने समीकरण तोडकर और एहसानों को भूलकर रणनीति बनाई जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि यदि कोई देश इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहता तो उसे अलग थलग कर दिया जाना चाहिए। 
 
विदेश मंत्री ने कहा कि जिसने भी अतिवादी विचारधारा के बीज बोए हैं उसे ही उसका कड़वा फल मिला है। आज  आतंकवाद ने एक राक्षस का रूप धारण कर लिया है, जिसके अनगिनत हाथ हैं, अनगिनत पांव और अनगिनत दिमाग और साथ में अति आधुनिक तकनीक। इसलिए अब अपना या पराया, मेरा या दूसरे का, आतंकवादी कहकर हम इस जंग को नहीं जीत पाएंगे। पता नहीं यह दैत्य किस समय किस तरफ का रुख कर ले। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इच्छाशक्ति की कमी बताते हुए कहा कि यदि सब एकजुट हो जाएं तो यह काम हो सकता है। (वार्ता)
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