US president election 2024 : अमेरिका के इतिहास का 60वां राष्ट्रपति चुनाव वैसे तो 5 नवंबर, 2024 को होगा। चुनाव के अंतिम दौर में जगह पाने के लिए दौड़ किंतु अभी से चल पड़ी है। इस दौड़ में सबसे पहले शामिल होने वालों में भारतीय मूल की निकी हेली का भी नाम है।
निकी हेली, रिपब्लिकन पार्टी के कई अन्य नेताओं के अलावा पिछले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को भी टक्कर देकर इस पार्टी की अधिकारिक प्रत्याशी बनना चाहती हैं। इस पार्टी के समर्थकों के बीच 78 वर्षीय डॉनल्ड ट्रम्प फ़िलहाल सबसे आगे चल रहे हैं। 51 वर्षीय निकी हेली की लोकप्रियता भी कुछ ही सप्ताहों में इस तेज़ी से बढ़ी है कि ट्रम्प के बाद दूसरे नंबर पर चल रहे रॉन दे-सान्टिस पीछे छूट गए हैं।
डॉनल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में निकी हेली संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि रह चुकी हैं। उनकी कार्यकुशलता से प्रभावित लोग उन्हें अमेरिका की भावी विदेशमंत्री के तौर पर देखते थे। किंतु, इस साल 14 फ़रवरी, 2023 को जब उन्होंने घोषित किया कि वे 2024 में होने वाले राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगी, तब अमेरिका के अधिकांश मीडिया ने उनकी अनदेखी कर दी। जिस किसी मीडिया ने उल्लेख किया भी, उसने घुमा-फिरा कर यही कहा कि ट्रम्प या दे-सान्टिस जैसे जगमगाते नामों के आगे निकी हेली एक टिमटिमाती मोमबत्ती के समान हैं।
एक धनकुबेर का मिला साथः इस कथित मोमबत्ती की चमक-दमक इस बीच इतनी बढ़ गई है कि मंगलवार,18 नवंबर को अमेरिकी अरबपति चार्ल्स कोख़ की संस्था 'अमेरिकन्स फ़ॉर प्रॉस्पेरिटी (AFP)' ने घोषित किया कि उसका सारा नेटवर्क निकी हेली की सफलता के लिए काम करेगा। इस संस्था ने एक वक्तव्य में लिखा, 'हमें गर्व है कि निकी हेली को इस बात के लिए AFP का पूर्ण समर्थन मिलेगा कि अमेरिका का वर्तमान राजनीतिक समय बदले, वे रिपब्लिकन पार्टी के प्राथमिक चुनाव जीतें और आगामी नवंबर में (राष्ट्रपति) जो बाइडन को पराजित करें।'
'प्राइमरी' कहलाने वाले ये प्राथमिक चुनाव जनवरी 2024 में अमेरिका के आयोवा और न्यू हैम्पशायर राज्यों के साथ शुरू होंगे। पिछले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प स्वयं एक अरबपति हैं। 2020 वाले चुनाव में अपनी हार नहीं मानने से जुड़े बखेड़ों के कारण कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं। लेकिन, अमेरिकी नियमों के अनुसार, मुकदमे हार जाने पर भी वे चुनाव लड़ सकते हैं। ट्रम्प जैसे एक अरबपति को पछाड़ कर 5 नवंबर 2024 को होने वाले अंतिम चुनाव तक पहुंचने के लिए निकी हेली को भी किसी अरबपति का साथ-समर्थन मिलने की बड़ी ज़रूरत थी। न्यूयॉर्क में रहने वाले दुनिया के 17वें सबसे अमीर व्यक्ति चार्ल्स कोख़ की परिसंपत्ति 59 अरब डॉलर आंकी जाती है। वे रिपब्लिकन पार्टी के पुराने भक्त हैं। ट्रम्प से उनकी अनबन हो गई है, इसलिए अब वे निकी हेली पर दांव लगा रहे हैं।
ट्रम्प अभी पहली पसंद हैं: रिपब्लिकन पार्टी के सामर्थक 60 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने नए जनमत सर्वेक्षणों में कहा कि उनकी पहली पसंद ट्रम्प हैं। 10 प्रतिशत के आस-पास ने या तो निकी हेली का नाम लिया या फ्लोरिडा राज्य के 45 वर्षीय गवर्नर रॉन दे-सान्टिस का। 51 वर्षीय निकी हेली भी 2011 से 2017 तक साउथ कैरालाइना राज्य की गवर्नर रह चुकी हैं।
रिपब्लिकन पार्टी को केंद्र में रख कर हुई टेलीविज़न बहसों में, भारत से आए एक सिख परिवार की बेटी निकी हेली, अब तक सबसे अधिक सराहनीय रही हैं। इस बीच, ट्रम्प के समय उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस ने अपना नाम वापस ले लिया है। इससे भी निकी हेली को ही लाभ मिलने की संभावना है।
निकी हेली अकेली महिला प्रत्याशीः कुछ दूसरे लोग उनकी अधेड़ आयु, आकर्षक व्यक्तित्व और सुलझे हुए विचारों को अमेरिका का भावी राष्ट्रपति बनने के कहीं अधिक उपयुक्त पाते हैं। अमेरिका की दोनों बड़ी पार्टियों, रिपब्लिकिन और डैमोक्रेटिक में, निकी हेली को छोड़कर अब तक दूसरी कोई ऐसी महिला सामने नहीं आई है, जो राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ना चाहती हो।
भारतवंशी निकी हेली की छवि एक ऐसी महिला नेता की है, जो दक्षिणपंथी होते हुए भी अतिवादी, रूढ़िवादी या प्रतिक्रियावादी नहीं है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में इस समय चल रही गर्मागर्म बहसों का एक सबसे ज्वलंत विषय यह है कि महिलाओं को गर्भपात का अधिकार होना चाहिए या नहीं? गर्भपात भ्रूण-हत्या है या नहीं?
गर्भपात के प्रति विचारः निकी हेली जीवनरक्षा (प्रो-लाइफ़) की कायल हैं, पर साथ ही गर्भवतियों के प्रति सहिष्णुता और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार का भी सम्मान चाहती हैं। उनकी रिपब्लिकन पार्टी में लंबे समय से बोलबाला उन लोगों का है, जो गर्भपात पर प्रतिबंध की मांग करते हैं। यह भी एक कारण है कि अनुदार रिपब्लिकन नेता अपना चुनाव अक्सर हार जाते हैं।
इस समय निकी हेली के सबसे निकटतम प्रतिद्वंद्वी रॉन दे-सान्टिस उनकी अपेक्षा कहीं अधिक रूढ़िवादी हैं, पर उन्हें अपने चुनाव-कोष के लिए इतनी अधिक दान-दक्षिणा मिली है कि निकी हेली उनकी बराबरी नहीं कर सकतीं। ऐसे में न्यूयॉर्क के अरबपति चार्ल्स कोख़ की संस्था 'अमेरिकन्स फ़ॉर प्रॉस्पेरिटी (AFP)' से मिलने वाला समर्थन उनके बहुत काम आयेगा। AFP की ओर से उन्हें कहा गया है कि उन्हे अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनाने के लिए अमेरिकी मतदाताओं का समर्थन पाने में कोई कसर नहीं होने दी जाएगी।
मत सर्वेक्षणों के संकेतः ठीक इस समय स्थिति यह है कि मत सर्वेक्षणों में अमेरिका के आयोवा राज्य में निकी हेली और रॉन दे-सान्टिस लगभग बराबर-बराबर चल रहे हैं। नेवादा में निकी हेली कुछ आगे हैं, लेकिन न्यू हैंम्पशायर और अपने गृहप्रदेश साउथ कैरोलाइना में वे दे-सान्टिस को बहुत पीछे छोड़ चुकी हैं। कुछ महीने पहले, न्यू हैंम्पशायर में स्वयं रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के बीच भी उन्हें केवल 3 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा था। इस बीच यह आंकड़ा 19 प्रतिशत हो गया है। देसान्टिस 10 प्रतिशत पर अटके हुए हैं और डॉनल्ड ट्रम्प 49 प्रतिशत के साथ सबसे आगे चल रहे हैं।
अमेरिकी दैनिक 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपने सर्वेक्षणों में पाया है कि रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले मतदाता तीन प्रकार के वर्गों में बांटे जा सकते हैं। पहला वर्ग उन लोगों का है, जो डॉनल्ड ट्रम्प के नारे 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (अमेरिका को पुनः महान बनाओ) के कायल हैं। 30 से 40 प्रतिशत लोग ट्रम्प के इसी नारे को दुहरा रहे हैं। उन्हें इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि ट्रम्प किस तरह के मुकदमों में फंसे हुए हैं; अमेरिकी लोकतंत्र पर हमले करते हैं या समलैंगिकों और महिलाओं पर फ़ब्तियां कसते फिरते हैं।
ट्रम्प का भड़काऊ रंग-ढंगः रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले 30-40 प्रतिशत लोगों का ही एक दूसरा वर्ग है, जो ट्रम्प के बोलने और काम करने के ढंग से तो परेशन है, पर उनके राजनीतिक एजेंडे में कोई ख़राबी नहीं देखता। इस वर्ग का झुकाव लंबे समय तक रॉन दे-सान्टिस की तरफ रहा है, लेकिन गर्भपात जैसे प्रश्नों पर उनकी सैद्धांतिक हठधर्मिता और टेलीविज़न बहसों में दिखी उनकी कमज़ोरियों से यह वर्ग इस समय दुविधा में पड़ गया है।
25 प्रतिशत लोगों के तीसरे वर्ग को लगता है कि ट्रम्प और दे-सान्टिस, दोनों ने उसे भुला दिया है। इन अंतिम दोनों वर्गों के मतदाताओं के मन में निकी हेली के प्रति झुकाव बढ़ रहा है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' का अनुमान है कि ट्रम्प से निराश हो रहे इन दोनों वर्गों के 60 से 70 प्रतिशत रिपब्लिकन मतदाता निकी हेली को अपना समर्थन दे सकते हैं।
व्यावहारिक सूझ-बूझः निकी हेली से प्रभावितों का कहना है कि आवश्यकतानुसार वे उदारवादी भी हैं और अनुदारवादी भी। यूक्रेन पर रूसी हमले के प्रति उनका रुख ट्रम्प से भी कठोर रहा है। रूस के विरुद्ध यूक्रेन की और हमास के विरुद्ध इसराइल की अविरत सहायता किए जाने की वे समर्थक हैं। उनके लिए हर चीज़ काली या सफ़ेद ही नहीं होती, वे बीच के रंगों को पहचानना भी जानती हैं।
ट्रम्प ने अमेरिकी डेमोक्रैटों की निंन्दा करते हुए जब एक बार यह कहा कि वे 'दुष्ट' (एविल), 'अपराध-प्रेमी' (क्राइम लविंग), 'देश की रक्षा के प्रति अनमने' (अनविलिंग टु डिफ़ेन्ड द नेशन) होते हैं, तब निकी हेली का उत्तर था, 'फ़ैसले देना बंद करो। ऐसी बातों को लेकर हमें अमेरिका को विभाजन नहीं करना है।' उनके इस उत्तर से बौखला कर ट्रम्प ने ट्विटर जैसे अपने मेसेंजर 'ट्रुथ सोशल' पर लिखाः ''कोई वफ़ादारी नहीं, बहुत सारे झूठ। चिड़ियों जैसे दिमाग वाली (बर्डब्रेन) के पास इस काम को करने की न तो कोई प्रतिभा है और न चरित्र।'
प्रिय व्यक्तित्वः अमेरिकी टीवी चैनलों के कुछ मतसर्वेक्षणों से यह तक सामने आया कि रिपब्लिकन पार्टी के सभी प्रत्याशियों की तुलना में यदि निकी हेली को वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन का सामना करना पड़े, तो निकी हेली के जीतने की सबसे अधिक संभावना होगी। उनका व्यक्तित्व रूढ़िवादियों, उदारवादियों, महिलाओं और जातीय अल्संख्यकों को सबसे अधिक प्रिय लगता है। वे सच्ची, सहृदय और मिलनसार लगती हैं। 81 साल के जो बाइडन या 78 साल के डॉनल्ड ट्रम्प की तुलना में 51 साल की उनकी आयु भी बहुतों को जंचती है।
निकी हेली के सिख माता-पिता अमृतसर ज़िले के रहने वाले थे। 1969 में में वे पहले कैनडा के वैंकूवर शहर में पहुंचे। पिता अजीत सिंह रंधावा को वैंकूवर की ब्रिटिश कोलंबिया यूनीवर्सिटी में जीवविज्ञान के प्रोफ़ेसर का पद मिला था। वैंकूवर से वे बाद में अमेरिका चले गए और वहां बाम्बेर्ग, साउथ कैरोलाइना में बस गए। वहीं 20 जनवरी, 1972 को निकी का जन्म हुआ। 1996 में 'आर्मी नैश्नल गार्ड' के एक अफ़सर, माइकल हेली के साथ विवाह के बाद निकी रंधावा से वे निकी हेली बन गईँ। उनके दो बच्चे हैं, बेटी रेना और बेटा नलिन।
अब सबसे बड़ा प्रश्न किंतु यह है कि 5 नवंबर 2024 का दिन अभी साल भर दूर है। तब तक बहुत कुछ हो सकता है। अमेरिकी चुनावों का इतिहास बताता है कि चुनाव परिणाम कई बार आश्चर्यजनक भी रहे हैं। वे प्रत्याशी प्रायः कम ही जीत पाते हैं, जिन पर शुरू में अधिकतर लोग दांव लगाते हैं।
Edited By : Navin Rangiyal