मंगलवार, 24 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Nightclub, Muslim terrorists, dance
Written By
Last Updated : गुरुवार, 7 जुलाई 2016 (16:16 IST)

मुस्लिम आतंकियों के निशाने पर इसलिए होते हैं नाइट क्लब...

मुस्लिम आतंकियों के निशाने पर इसलिए होते हैं नाइट क्लब... - Nightclub, Muslim terrorists, dance
पश्चिमी देशों नाइटक्लबों में डांस और शराबखोरी आम बात है, वहीं इस्लाम को मानने वाले इन्हें इस्लाम के खिलाफ मानते हैं। इसलिए नाइट क्लब इस्लामी आतंकवादियों निशाने पर होते हैं।
दरअसल, इस्लाम वह सभी प्रदर्शित करता है जिसे नीत्शे ने 'ग्रेट हैल्थ' कहा था। इससे तात्पर्य ऐसे युवा सैनिक जोकि इसके लिए (इस्लाम के लिए) जान देने के लिए तैयार रहते हैं। जबकि पश्चिमी सभ्यता का महत्व क्या है? सुपर मार्केट और ई-कॉमर्स, तुच्छ उपभोक्तावाद और अहंकारी आत्ममुग्धता, भौंडी काम पिपासा या फिर बड़ों के मन बहलाव के साधन?' 
 
अमेरिका में उमर मतीन ने पल्स गे क्लब को मात्र इसलिए निशाना नहीं बनाया था कि इसमें सुरक्षा कर्मी कम रहते थे या कि यह एक आसान शिकार था। वह चाहता तो किसी सुपरमार्केट या एक स्कूल को भी निशाना बना सकता था। लेकिन नहीं, उसने पल्स को इसलिए निशाना बनाया कि यह एक नाइटक्लब है जहां उसने 49 'लोगों' को मौत के घाट उतारा और 53 अन्य को घायल कर दिया।    
  
अमेरिका के ट्‍विन टॉवर्स पर आतंकी हमले करने से पहले (जिसमें 2977 लोगों की मौत हुई) आतंकवादियों के नेता मोहम्मद अता ने अपने चार अन्य हाईजैकर्स साथियों के साथ गर्मियों में लास वेगास के कई चक्कर लगाए थे। जहां पर इन लोगों ने नाइटक्लबों में डांसर्स के मनोरंजन का भरपूर आनंद लिया था। 
 
ठीक पंद्रह वर्ष बाद एक दूसरे देश में जिहादियों के एक दूसरे गुट ने एक और नाइटक्लब को निशाना बनाया था। ब्रसेल्स के एक नाइटक्लब में आतंकी सालेह आब्देसलाम और उसका भाई ब्राहिम नाच रहे थे और एक सुनहरे बालों वाली महिला के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। कुछेक महीने बाद ब्राहिम ने पैरिस के बाटाक्लां थिएटर में खुद को विस्‍फोटकों से उड़ा दिया था।
 
नाइटक्लब इस्लामी आतंकवादियों के दिमाग में अल्कोहल, यौन स्वेच्छाचार, ड्रग्स और संगीत इस्लाम के कट्‍टर दुश्मन हैं, जहां ये सारी चीजें बहुतायत से मिलती हैं। आईएसआईएस ने पेरिस को 'अश्लीलता और वेश्यावृत्ति की राजधानी' घोषित किया था। इसलिए इस्लामी आतंकवादियों का पहला निशाना नाइटक्लब ही होते हैं।   
 
इसी प्रकार लंदन का नाइटक्लब 'टाइगर टाइगर' वर्ष 2007 में आतंकी हमलों का निशाना बना था। लंदन के पिकाडिली सर्कस और लीसेस्टर स्क्वायर के बीच स्थित है। पिछली फरवरी में फ्रांसीसी खुफिया सूत्रों ने पैरिस में स्विंगर्स (अपने पति, पत्नियों की अदला बदली करने वालों का क्लब) पर हमला करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे असफल कर दिया गया था। पैरिस के ही कलात्मक स्थल जैसे ली शोंटेल (मोमबत्ती) या फिर 250 वर्ग मीटर में फैले आनंद को समर्पित 'ओवरसाइड' हमेशा ही आतंकवादियों की ईर्ष्या के केन्द्र रहे हैं।
 
आतंकवादियों के यह हमले केवल पश्चिमी देशों तक ही सीमित नहीं रहे हैं। 2002 में एक नाइटक्लब पर सबसे भयानक हमला बाली (इंडोनेशिया) में हुआ था जिसमें 190 लोग शिकार हुए थे जिनमें से ज्यादातर पश्चिमी देशों के पर्यटक थे और ऑस्ट्रेलियाई सर्फर्स और बिकिनी पहने लड़कियों इनका प्रमुख शिकार थीं। इसी तरह इस्लामी आतंकवादियों ने इस्लामाबाद (पाकिस्तान) के मैरियट होटल पर हमला किया था जिसे पाकिस्तानी मुल्ले 'पश्चिमी पतन का एक ठिकाना' मानते हैं।
        
जुलाई, 2005 में आतंकवादियों समुद्र के किनारे मिस्र में विकसित किए गए पर्यटन स्थल शर्म अल शेख में आतंकवादियों ने कम से कम 88 पर्यटकों को मार डाला था। वर्ष 2015 में ट्यूनीशिया के सुइस में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने समुद्रतट पर ब्रिटिश पर्यटकों की हत्या कर दी थी। कम से कम बीस वर्षों से इस्लामी आतंकवादी कहते आ रहे हैं 'जितनी उत्कटता से तुम जिंदगी चाहते हो हम उससे भी अधिक उत्कटता से मौत चाहते हैं।'
 
वास्तव में, ये आतंकवादी नाइटक्लब के अंधेरे आरामदायक, सहज उपलब्ध यौन स्वतंत्रता की सफाई लोगों का खून बहाकर करना चाहते हैं। हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी फादी हमाद ने इसराइल से यही बात कही थी। अमेरिका के फोर्ट हुड, टेक्सास में 13 लोगों की हत्या करने से पहले मेजर निदाल मलिक हसन का कहना था, 'जितना तुम जिंदगी से प्यार नहीं करते हो, उससे ज्यादा हम मौत से प्यार करते हैं।'    
 
अयातुल्ला अली खामेनी और ओसामा बिन लादेन के साथ हिजबुल्लाह नेता हसन नसरुल्लाह का कहना था, 'हम जीतने जा रहे हैं क्योंकि वे जिंदगी से प्यार करते हैं और हम मौत से प्यार करते हैं।' लेकिन पश्चिमी देशों को उन बातों पर गर्व होना चाहिए इसे इस्लामवादी 'पतन' कहते हैं। इस्लामवादियों का यह पतन ही पश्चिमी देशों में लोगों की स्वतंत्रता का प्रतीक है। इसी आनंद या खुलेपन के लिए खुले तौर पर समलैंगिक समाजशास्त्री प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ पिम फोट्यून की हत्या कर दी थी।
 
पिम, इस्लाम को 'एक पिछड़ी संस्कृति' बताते थे लेकिन इस्लामवादियों ने 2002 में उनकी हत्या कर दी थी। लेकिन अब ऐसा लगने लगा है कि पश्चिमी संस्कृति को जीवन से प्यार नहीं रह गया है वरन यह जीवन से ऊब गई लगती है। ओरलैंडो की घटना के बाद की गई टिप्पणियों में 'इस्लाम' का जिक्र करना तक जरूरी नहीं समझा गया। पश्चिमी जगत अपने जीवन के प्रति उन लोगों के हाथों सौंपना चाहता है जोकि इसे समाप्त करने पर ही तुले हैं तो फिर पश्चिम आनंद या सुख का स्थान दुख ही लेगा। 
 
पश्चिमी देशों में नैतिकतावादी पाखंड इतना बढ़ गया है कि हाल ही में जब ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रोम के कैपिटोलाइन म्यूजियम का दौरा किया तो इतालवी अधिकारियों ने नग्न मूर्तियों को कपड़ों से ढंक दिया था। हालांकि पश्चिमी देशों या यूरोप में आने वाले मुस्लिम इन नग्न मूर्तियों की तुलना में अधिक नग्न तस्वीरें दिखाते हैं। स्केंडनेवियन देशों में, नॉर्वे से लेकर डेनमार्क तक प्रवासियों के लिए यौन शिक्षा अनिवार्य कर दी है। यूरोप के मूर्ख स्थानीय अधिकारी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब यूरोप ने उन्हें सारी स्वतंत्रता देकर बहूदगी की छूट दी है तब भी वे यूरोपीय समाज में समाहित नहीं हो सके।  
 
वास्तव में 'सभ्यताओं के बीच संघर्ष' एक ऐसे युद्ध में बदल गया है जहां एक पक्ष कहता है कि 'वह किसी भी कीमत पर अपनी जीवनशैली नहीं बदलेगा' और वे यही गीत गाते हैं कि 'आपके जीवन के प्रति इच्छा की तुलना में हमारी मौत की इच्छा ज्यादा प्रबल है।' यह एक ऐसे लड़ाई है जोकि 'नैतिक जड़ता से पैदा हुई पतनशील उदासीनता' से पैदा हुई है जबकि इसके सामने 'इस्लामवादियों के उलेमाओं की वीभत्स और भयानक उथल पुथल' है। पश्चिम की इसी कमजोरियों के कारण वहां के निवासी इस्लाम की ओर आकर्षित होकर मुस्लिम बन गए जबकि इस्लाम की खिलाफत पश्चिम की निहत्थी और पाखंडी आत्मतुष्टि की तुलना में बहुत भयानक है।
 
यही कारण है कि आईएसआईएस के काले झंडे दिख रहे हैं और इन्हें लिए लोग 'अल्लाह के सिवाय कोई ईश्वर नहीं' का नारा लगा रहे हैं। ये लोग पैरिस में काटूनिस्टों की हत्याएं कर सकते हैं और ऑरलैंडो में समलैंगिक लोगों को गोली मार सकते हैं। ये हत्यारे हमारे सुखों के अवशेषों का ढेर लगाते जा रहे हैं और पश्चिमी देश इन्हें अपने में समाहित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह जानते हुए भी कड़वी चीजें कभी भी मीठी नहीं बन सकती हैं भले ही इनके उपर कितनी ही शक्कर की चाशनी न चढ़ा दी जाए।