• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Nasa released image of Hard landing place of Chandrayaan2 Vikram
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 27 सितम्बर 2019 (09:05 IST)

Chandrayaan2 : नासा ने जारी की तस्वीर, यहां हुई थी विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग

Chandrayaan2 : नासा ने जारी की तस्वीर, यहां हुई थी विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग - Nasa released image of Hard landing place of Chandrayaan2 Vikram
नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उस जगह की तस्वीर जारी की है जहां चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। हालांकि नासा ने स्पष्ट कहा है कि विक्रम से संपर्क स्थापित करने में लगी टीम अभी तक सफल नहीं हो पाई है।
 
नासा ने एक बयान जारी कर कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम ने 7 सितंबर को चंद्रमा पर लैंड करने का प्रयास किया था। इस दौरान विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। चंद्रमा की किसी पर्वतीय भूमि पर इसकी लैंडिंग के बाद इसका पता नहीं लग पाया है। नासा ने साथ ही विक्रम के लैंड करने वाली जगह की तस्वीर भी जारी की है। यह तस्वीर को नासा के ऑरबिटर ने खींची थी। तस्वीर में धूल की तस्वीर है।
 
नासा की ओर से यह भी कहा गया है कि अक्टूबर के महीने में जब प्रकाश तेज होगा तो एक बार फिर ऑरबिटर लोकेशन और तस्वीर भेजेगा।
 
इससे पहले 21 सितंबर को इसरो प्रमुख के सिवन ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर बहुत अच्छे ढंग से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर में 8 इंसट्रूमेंट्‍स है और सभी वह काम अच्छे से कर रहे हैं जिसके लिए वह उन्हें बनाया गया है। सिवन ने कहा कि लैंडर विक्रम से हमारा अभी तक कोई संपर्क नहीं हो सका है। 
 
उल्लेखनीय है कि चांद पर इस समय रात है और अंधकार छाने के साथ ही ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से सपंर्क की सभी संभावनाएं अब लगभग खत्म हो गई हैं। हालांकि इसरो अब 14 अक्टूबर को अगले लूनर डे की रोशनी में फिर विक्रम को ढूंढेगा।
 
लैंडर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था। 7 सितंबर को तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में असफल रहने के बाद लैंडर का जीवन काल 21 सितंबर को समाप्त हो चुका है।
 
भारत को भले ही चांद पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन ऑर्बिटर शान से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। इसका जीवनकाल एक साल निर्धारित किया गया था, लेकिन बाद में इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें इतना अतिरिक्त ईंधन है कि यह लगभग सात साल तक काम कर सकता है।
ये भी पढ़ें
bypoll election result : हमीरपुर और भद्रघाट उपचुनाव में भाजपा को बढ़त, दंतेवाड़ा में कांग्रेस आगे