यरुशलम। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां इसराइल के 'येद वाशेम होलोकॉस्ट' स्मारक का दौरा किया और नरसंहार के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह स्मारक ऐसे समय में समाजों के लिए आईना है, जब विश्व असहिष्णुता, नफरत और आतंकवाद से जूझ रहा है।
यह स्मारक नाजी जर्मनी के हाथों मारे गए यहूदियों की याद में बनाया गया था, जो मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है। नाजी जर्मनी द्वारा करीब 60 लाख यहूदियों को मार दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी के साथ इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी इस्राइल के सबसे बड़े होलोकॉस्ट स्मारक पर गए।
स्मारक की आगंतुक पुस्तिका में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, होलोकॉस्ट मैमोरियल म्यूजियम येद वाशेम के अपने दौरे ने मुझे गहरे तक छुआ है। यह कई पीढ़ियों पहले ढहाए गए कहर की उतनी ही याद दिलाता है, जितना यह यहूदी लोगों के मजबूत इरादों और उनकी सहनशक्ति का प्रतीक है।
उन्होंने लिखा, 'जब हम हमारे समय में संघर्ष, असहिष्णुता, नफरत और आतंक से निपट रहे हैं, येद वाशेम पूरी दुनिया में समाजों को आईना दिखाता है। हमें इतिहास के अन्याय तथा मानवता पर इसके विनाशकारी असर को नहीं भूलना है। और इतिहास को याद करते हुए, हम अपने बच्चों को भविष्य के लिए दयालु, न्यायप्रिय और सही चयन करने में सक्षम बना सकते हैं।
येद वाशेम से रवाना होने से पूर्व मोदी नेतन्याहू के सुझाव पर बिन्यामिन जीव (थ्योडोर) हर्जेल की कब्र पर भी गए। थ्योडोर एक आस्ट्रो-हंगेरियन पत्रकार, नाटककार, राजनीतिक कार्यकर्ता और एक लेखक थे जो आधुनिक राजनीतिक जियोनिजम के पुरोधाओं में से एक थे, जो कि यहूदी होमलैंड की स्थापना के लिए आंदोलन था।
1953 में यरुशलम के समीप माउंट आफ रिमेम्बरेंस में येद वाशेम को एक संगठन के तौर पर शुरू किया था जो भावी पीढ़ियों के लिए एक संदर्भ की तरह था जहां होलोकॉस्ट के पीड़ितों की स्मृतियों और यहूदी लोगों के इतिहास को सुरक्षित रखा गया है।
यह स्मारक 4200 वर्गमीटर क्षेत्र में मुख्य रूप से भूमिगत है जहां मूल कलाकृतियों के जरिए पीडितों के अनुभवों, जीवित बचे लोगों की गवाही और निजी वस्तुओं को रखा गया है। नए येद वाशेम को 2005 में खोला गया था। इस संग्रहालय में आगे जाकर हॉल आफ नेम्स है जहां नरसंहार के 30 लाख पीड़ितों के नामों को पेश किया गया है। ये नाम उनके परिवारों और रिश्तेदारों ने सौंपे थे।
नरसंहार में एडोल्फ हिटलर के नाजी जर्मनी द्वारा करीब 60 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था जिसमें करीब पंद्रह लाख बच्चे थे। हालांकि यहूदियों के खात्मे की शुरुआत 1933 में हो गई थी लेकिन चार साल से अधिक समय के द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक साथ बड़े पैमाने पर यहूदियों को खत्म कर दिया गया। (भाषा)