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Last Modified: शनिवार, 20 अगस्त 2022 (00:01 IST)

यूक्रेन की सीमा से सटे हथियार डिपो में भीषण आग, 2 रूसी गांव कराए खाली

यूक्रेन की सीमा से सटे हथियार डिपो में भीषण आग, 2 रूसी गांव कराए खाली - Massive fire in arms depot adjacent to Ukraine's border
\ कीव। यूक्रेन की उत्तर-पूर्वी सीमा से सटे बेलगोरोद क्षेत्र के तिमोनोवो गांव के पास स्थित एक हथियार डिपो में आग लगने के बाद वहां के 2 गांवों को खाली करा लिया गया है। गांव में लगभग 1100 लोग रहते हैं, जिन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।इससे पहले, रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर एक हथियार डिपो में आग लगने से उसमें विस्फोट हो गया था।

बेलगोरोद के गवर्नर व्याचेस्लाव ग्लादकोव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हथियार डिपो में आग गुरुवार देर रात लगी और इसमें अभी तक किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। ग्लादकोव के मुताबिक, यूक्रेनी सीमा से 15 मील की दूरी पर स्थित तिमोनोवो और सोलोती गांव में लगभग 1100 लोग रहते हैं, जिन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। इससे पहले, रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर एक हथियार डिपो में आग लगने से उसमें विस्फोट हो गया था।
 
पिछले सप्ताह क्रीमिया में एक वायुसैनिक अड्डे पर हुए हमले में रूस के नौ लड़ाकू विमानों के नष्ट होने की खबर सामने आई थी। हालांकि यूक्रेनी प्राधिकारी सार्वजनिक तौर पर इन हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचते आए हैं। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने क्रीमिया में धमाके के बाद दुश्मन देश में यूक्रेनी हमलों की तरफ इशारा किया। रूस ने भी इन हमलों के लिए कीव को दोषी ठहराया है।

रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने शुक्रवार को टेलीविजन पर प्रसारित टिप्पणी में कहा कि क्रीमिया में मौजूद प्रतिष्ठानों पर हमले के बारे में यूक्रेनी अधिकारियों के बयान अमेरिका और उसके नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) सहयोगियों द्वारा उकसाए गए संघर्ष में वृद्धि को चिह्नित करते हैं।

उन्होंने कहा कि रूसी अधिकारियों ने बाइडन प्रशासन के उच्च पदस्थ सदस्यों के साथ फोन पर हुई बातचीत में अमेरिका को ऐसे कदमों के खिलाफ आगाह किया था। मॉस्को ने स्पष्ट किया था कि यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की खुली एवं गहरी भागीदारी अमेरिका को प्रभावी रूप से एक पक्ष बनने के कगार पर खड़ा करती है।

रयाबकोव ने कहा, हम तनाव में वृद्धि नहीं चाहते हैं। हम ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं जहां अमेरिका संघर्ष का पक्ष बन जाए, लेकिन अभी तक हमने इन चेतावनियों पर गहराई से और गंभीरता से विचार करने के लिए उसकी तत्परता नहीं देखी है।

इस बीच, कीव और मॉस्को ने एक-दूसरे पर यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर गोलाबारी करने का आरोप लगाना जारी रखा, जिससे महाद्वीप पर तबाही की आशंकाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ गई हैं।

रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलई पेत्रुशेव ने शुक्रवार को अमेरिका पर दक्षिणी यूक्रेन स्थित जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर यूक्रेनी हमलों को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया। 24 फरवरी को यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के कुछ दिनों बाद से ही इस संयंत्र पर रूस का नियंत्रण हो गया था।

पेत्रुशेव ने कहा, प्रौद्योगिकी संबंधी आपदा की सूरत में उसका असर दुनिया के हर कोने में महसूस किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी वॉशिंगटन, लंदन और उनके सहयोगी देशों की होगी। यूक्रेन ने रूस पर जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र में जवानों और हथियारों का भंडारण करने तथा इसका इस्तेमाल यूक्रेनी क्षेत्र पर हमले के लिए करने का आरोप लगाया है।

यूक्रेनी अधिकारियों और सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि रूसी सैनिक तय रणनीति के तहत संयंत्र को सैन्य अड्डे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यूक्रेनी जवान वहां पर जवाबी कार्रवाई करने से बचेंगे।हालांकि रूस ने इन आरोपों को खारिज किया है। उसने जवाब में यूक्रेन पर संयंत्र पर लगातार गोलाबारी करने का आरोप लगाया है।

अन्य घटनाक्रम
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने तटीय यूक्रेनी शहर ओडेसा में एक बंदरगाह का दौरा किया, जहां उन्होंने काला सागर पर एक जलमार्ग कॉरिडोर बनाए रखने के लिए चल रहे प्रयासों की प्रशंसा की, जिससे महत्वपूर्ण यूक्रेनी अनाज की खेप के निर्यात की अनुमति मिली है।

गुतारेस ने कहा कि रूस और यूक्रेन द्वारा जुलाई में चार महीने के लिए अनाज निर्यात समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से ओडेसा और अन्य यूक्रेनी बंदरगाहों से 25 जहाज रवाना हुए हैं। उन्होंने कहा कि उन जहाजों ने गेहूं, मक्का, सूरजमुखी का तेल और सोयाबीन जैसी 600,000 टन खाद्य सामग्री ले जाई गई है।

गुतारेस ने वैश्विक बाजारों तक रूसी खाद्य और उर्वरक सामग्री की निर्बाध पहुंच का भी आग्रह किया, जो प्रतिबंधों के अधीन नहीं हैं। उन्होंने कहा, 2022 में उर्वरक न मिलने पर 2023 में पर्याप्त भोजन मिलने में मुश्किल हो सकती है।(भाषा)
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