पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का फैसला मंजूर नहीं
हेग। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत से जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की सजा पर आज भले ही रोक लगा दी लेकिन पाकिस्तान को यह फैसला मंजूर नहीं है।
इस्लामाबाद में पाकिस्तान ने कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसलों को स्वीकार नहीं करता। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाधव का मामला ले जाकर वह वास्तविक तथ्य को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत और पाकिस्तान द्वारा अपनी-अपनी दलील दिए जाने के तीन दिन बाद 11 न्यायाधीशों की पीठ ने एक मत से यह फैसला दिया। अपनी दलील के दौरान भारत ने जाधव को सजा सुनाने के लिए पाकिस्तानी अदालत की सुनवाई को ‘हास्यास्पद’ करार देते हुए सजा को रद्द किये जाने की मांग की थी। वहीं पाकिस्तान ने अपनी दलील में 46 वर्षीय भारतीय नागरिक को एक जासूस बनाते हुए भारत की याचिका को ‘गलत’ बताया था।
न्यायालय ने कहा कि पाकिस्तान ने संकेत दिया था कि अगस्त 2017 से पहले फांसी की सजा संभवत: नहीं होगी। इसका मतलब इस बात का जोखिम है कि इसके बाद कभी भी फांसी दी जा सकती है, मामले में न्यायालय का अंतिम फैसला आने से पहले भी।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को समझा क्योंकि पाकिस्तान ने कोई आश्वासन नहीं दिया है कि जाधव को न्यायालय का अंतिम फैसला आने से पहले फांसी नहीं दी जाएगी। जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के विरोध में भारत 8 मई को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहुंचा था।
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को पिछले साल 3 मार्च को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था जहां वह कथित तौर पर ईरान से दाखिल हुआ था। भारत हालांकि कहता रहा है कि जाधव को ईरान से गिरफ्तार किया गया, जहां नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद वह कारोबार के सिलसिले में थे।
जाधव का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का नया केंद्रबिंदु है। विदेश मामलों में प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि जाधव मामले में आईसीजे द्वारा रोक लगाया जाना कोई असाधारण बात नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालतें कभी कभी ऐसे आदेश देती हैं, जिनका मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
अजीज ने कहा कि यह गलत धारणा है कि मामले में वकीलों का चयन उचित नहीं था। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि पाकिस्तान की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। फैसले पर पाकिस्तान के एटार्नी जनरल अशतर औसफ अली के कार्यालय ने कहा कि आईसीजे के फैसले से जाधव के मामले का दर्जा नहीं बदला है।
उसने एक बयान में कहा कि अस्थायी फैसला प्रक्रियात्मक प्रक्रिया है ताकि अदालत बाद में पूरी सुनवाई कर सके। उसने कहा कि ऐसे उपायों का अदालत के अंतिम फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस बीच विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने आईसीजे आदेश को नवाज शरीफ सरकार की नाकामी बताया और कहा कि सरकार ने उचित तरीके से पक्ष नहीं रखा।