कुलभूषण जाधव की सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
द हेग। कुलभूषण जाधव के मामले में यहां अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में भारत और पाकिस्तान के बीच जोरदार बहस हुई। भारत ने जाधव की मौत की सजा फौरन स्थगित करने की मांग की, जबकि पाकिस्तान ने भारत पर ‘मिथ्या विचार’ वाली एक अर्जी के जरिए इस वैश्विक संस्था का ‘राजनीतिक मंच’के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
भारत जाधव के मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया है और पाकिस्तान पर विएना समझौता का उल्लंघन करने तथा लेशमात्र सबूत के बगैर जाधव को दोषी ठहराने के लिए बेतुका मुकदमा चलाने का आरोप लगाया है। दोनों पड़ोसी देशों का 18 साल पहले यहां आमना-सामना हुआ था, जब पाकिस्तान ने अपनी नौसेना के विमान को मार गिराने के मामले में इससे हस्तक्षेप की मांग की थी।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि वे अस्थायी उपाय के लिए भारत के अनुरोध पर यथाशीघ्र अपना आदेश जारी करेगा। न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक बैठक में जिस तारीख को आदेश जारी किया जाएगा, उस बारे में दोनों पक्षों को सूचना दे दी जाएगी। भारत ने जाधव की मौत की सजा को फौरन स्थगित करने की मांग करते हुए आशंका जताई है कि पाकिस्तान आईसीजे में सुनवाई पूरी होने से पहले ही उन्हें फांसी दे सकता है।
नौसेना के 46 वर्षीय पूर्व अधिकारी के मामले में आईसीजे के सुनवाई शुरू करने पर भारत ने जोरदार दलील पेश की। जाधव को पिछले साल 3 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी एवं विध्वंसक गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में आईसीजे से कहा कि जाधव को उपयुक्त कानूनी सहायता और राजनयिक मदद पाने का अधिकार नहीं दिया गया। फैसला होने से पहले ही उन्हें फांसी दिए जाने का एक फौरी खतरा मंडरा रहा है। भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्य वकील हरीश साल्वे ने कहा कि ऐसे में जब यह न्यायालय अपील पर सुनवाई कर रहा है, मौत की सजा का क्रियान्वन नहीं किया जा सकता। नहीं तो, यह वियना समझौता का उल्लंघन होगा।
भारत की दलील के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायिक संस्था में अपनी दलील में कहा कि जाधव पर भारत की अर्जी गैरजरूरी और गलत तरीके से व्याख्या वाली है तथा इसे अवश्य खारिज किया जाना चाहिए। (भाषा)