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Last Modified: शुक्रवार, 11 सितम्बर 2020 (00:09 IST)

भारत ने संभाली आरआईसी की कमान, चीनी विदेश मंत्री के साथ एस. जयशंकर की बैठक

भारत ने संभाली आरआईसी की कमान, चीनी विदेश मंत्री के साथ एस. जयशंकर की बैठक - Jaishankar Meets China Counterpart Amid LAC Standoff
मास्को। पूर्वी लद्दाख में भारत एवं चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अभूतपूर्व सैन्य तनाव के बीच  यहां रूस, भारत एवं चीन के त्रिपक्षीय प्लेटफॉर्म -आरआईसी के अंतर्गत इन देशों के विदेश मंत्रियों के मध्य एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई। खबरों के मुताबिक दोनों देश संयुक्त बयान भी जारी कर सकते हैं।
 
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यहां ट्वीट करके जानकारी दी कि उन्होंने आरआईसी विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत की जिसमें डॉ. जयशंकर के अलावा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए। 
विदेश मंत्री ने शानदार मेहमाननवाजी के लिए रूस का आभार जताया और भारत के आरआईसी की अध्यक्षता संभालने की भी जानकारी दी। आरआईसी की बैठक के बाद भारतीय समयानुसार रात में भारतीय विदेश मंत्री एवं चीन के विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठक शुरू हुई। 
 
बीते चार माह से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच भारत एवं चीन के विदेश मंत्रियों के बीच यह पहली बैठक है। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं चीनी स्टेट काउंसलर एवं विदेश मंत्री वांग यी के बीच एक माह पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात हुई थी पर तनाव घटाने के लिए सहमति कायम होने के बावजूद ऐसा नहीं हो सका था।
समझा जाता है कि आरआईसी की बैठक में रूसी विदेश मंत्री ने भारत एवं चीन के बीच सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों पक्षों को संयम बरतने को कहा है। बाद में रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैठक में रूस चीन एवं भारत के बीच त्रिपक्षीय सहयोग तथा अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर परस्पर सम्मान, मैत्री एवं भरोसे की भावना से चर्चा हुई।

रूसी बयान के अनुसार इन नेताओं ने माना कि तीनों देशों के बीच सहयोग एवं समान प्रगति से वैश्विक प्रगति, शांति एवं स्थिरता बढ़ेगी।

इन तीनों विदेश मंत्रियों ने यह भी माना कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सशक्त वैज्ञानिक एवं औद्योगिक क्षमता एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने समावेशी बहुपक्षवाद तथा सार्वभौमिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। (वार्ता) (Photo courtesy :  Dr. S. Jaishankar Twitter account)