-शोभना, अनुपमा जैन
संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के भारत के प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगा दी है। इस ऐलान के साथ ही अब से हर साल 21 जून को दुनिया भर में 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में आज इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। भारत के साथ रिकार्ड 177 सदस्य देश न केवल इस प्रस्ताव के समर्थक बने बल्कि इसके सह-प्रस्तावक भी बने।
गत 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की जोरदार पैरवी की थी। इस प्रस्ताव में उन्होंने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दिए जाने की भी बात कही थी। मोदी की इस पहल का 177 देशों ने समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने इस भाषण में मोदी ने कहा कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान, आध्यात्मवाद का अनिवार्य हिस्सा है। हम प्रकृति की विपुलता को पवित्र मानते हैं। उन्होंने कहा कि योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है।
उन्होंने कहा कि योग मन और शरीर को, विचार और कार्य को, अवरोध और सिद्धि को साकार रूप प्रदान करता है और यह व्यक्ति और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाता है। यह स्वास्थ्य को अखंड स्वरूप प्रदान करता है। इसमें केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मनुष्य के बीच की कड़ी है। यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने में हमारी मदद करता है।
इसी बीच नई दिल्ली मे प्रधानमंत्री ने संयुक्तराष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले को सुनकर वह इतने प्रसन्न हैं कि उनके पास अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए शब्द तक नही हैं। वे उन सभी 177 देशों का हार्दिक धन्यवाद देते हैं, जो इस प्रस्ताव के प्रायोजक बने।
नई दिल्ली मे प्रधानमंत्री ने कहा कि योग मे समूची मानवता को एकजुट करने की अद्भुत शक्ति है, यह ज्ञान कर्म और भक्ति का सुन्दर मेल है। उन्होंने कहा कि दुनिया में असंख्य लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है, वे उन सभी को बधाई देते हैं। निश्चय ही अब और अधिक लोग योग के प्रति आकर्षित होंगे।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री की पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र स्थित भारत के स्थायी मिशन ने सभी 193 देशों को अनौपचारिक रूप से प्रस्ताव की बाबत समझाया। विचार-विमर्श के बाद 22 अक्टूबर 2014 को प्रस्ताव के अंतिम मसौदे को सहमति दे दी गई।
5 दिसंबर तक 177 देश इस प्रस्ताव के प्रायोजक बन गए थे। प्रस्ताव के सहप्रायोजकों में संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्य भी हैं। संयुक्तराष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी इस प्रस्ताव को मंज़ूरी मिले जाने पर बधाई दी है।
संयुक्तराष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने भी सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह बात इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो गई है कि इतने कम समय मे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है।
भारत में 5000 वर्ष से भी पहले जन्मी योग पद्धति के चाहने वाले पूरी दुनिया में हैं। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के सितारे योग करते और उसकी तारीफ करते नजर आते हैं। योग हमेशा से ही विदेशियों को प्रभावित करता आया है। अमेरिका सहित यूरोप में लाखो लोग नियमित योग करते हैं तो वहीं योग सीखने की ललक कई विदेशियों को भारत की ओर खींचती रही है। (वीएनआई)