गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Indian Students, Third Class, Indian Education
Written By
Last Updated : बुधवार, 27 सितम्बर 2017 (20:22 IST)

तीसरी कक्षा के भारतीय छात्रों का शैक्षणिक स्तर पिछड़ा

तीसरी कक्षा के भारतीय छात्रों का शैक्षणिक स्तर पिछड़ा - Indian Students, Third Class, Indian Education
वॉशिंगटन। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 12 देशों की सूची में दूसरे नंबर पर है, जहां दूसरी कक्षा के छात्र एक छोटे से पाठ का एक शब्द भी नहीं पढ़ पाते।
 
विश्व बैंक के अनुसार 12 देशों की इस सूची में मलावी पहले स्थान पर है। भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अपने अध्ययन के नतीजों का हवाला देते हुए विश्व बैंक ने कहा कि बिना ज्ञान के शिक्षा देना न केवल विकास के अवसर को बर्बाद करना है बल्कि दुनियाभर में बच्चों और युवा लोगों के साथ बड़ा अन्याय भी है।
 
विश्व बैंक ने मंगलवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में वैश्विक शिक्षा में ज्ञान के संकट की चेतावनी दी। उसने कहा कि इन देशों में लाखों युवा छात्र बाद के जीवन में कम अवसर और कम वेतन की आशंका का सामना करते हैं, क्योंकि उनके प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल उन्हें जीवन में सफल बनाने के लिए शिक्षा देने में विफल हो रहे हैं।
 
बैंक ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट 'वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2018 : लर्निंग टू रियलाइज एजुकेशंस प्रॉमिस' में कहा कि ग्रामीण भारत में तीसरी कक्षा के तीन-चौथाई छात्र 2 अंकों के घटाने वाले सवाल को हल नहीं कर सकते और 5वीं कक्षा के आधे छात्र ऐसा नहीं कर सकते। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना ज्ञान के शिक्षा गरीबी मिटाने और सभी के लिए अवसर पैदा करने और समृद्धि लाने के अपने वादे को पूरा करने में विफल होगी। यहां तक कि स्कूल में कई वर्ष बाद भी लाखों बच्चे पढ़-लिख नहीं पाते या गणित का आसान-सा सवाल हल नहीं कर पाते।
 
इसमें कहा गया है कि ज्ञान का यह संकट सामाजिक खाई को छोटा करने के बजाय उसे और गहरा बना रहा है। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा कि ज्ञान का यह संकट नैतिक और आर्थिक संकट है। जब शिक्षा अच्छी तरह दी जाती है तो यह युवा लोगों से रोजगार, बेहतर आय, अच्छे स्वास्थ्य और बिना गरीबी के जीवन का वादा करती है।
 
समुदायों के लिए शिक्षा खोज की खातिर प्रेरित करती है, संस्थानों को मजबूत करती है और सामाजिक सामंजस्य बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि ये फायदे शिक्षा पर निर्भर करते हैं और बिना ज्ञान के शिक्षा देना अवसर को बर्बाद करना है। 
 
रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 12 देशों की सूची में मलावी के बाद दूसरे नंबर पर है, जहां दूसरी कक्षा का छात्र एक छोटे से पाठ का एक शब्द भी नहीं पढ़ पाता। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में ग्रामीण भारत में 5वीं कक्षा के केवल आधे छात्र ही दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम के स्तर की किताब अच्छे से पढ़ सकते हैं जिसमें उनकी स्थानीय भाषा में बोले जाने वाले बेहद सरल वाक्य शामिल हैं। 
 
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में भारत के आंध्रप्रदेश में 5वीं कक्षा के वे छात्र पहली कक्षा के सवाल का भी सही जवाब नहीं दे पाए जिनका परीक्षा में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। यहां तक कि 5वीं कक्षा के औसत छात्रों के संबंध में भी यह संभावना 50 फीसदी ही थी। इस रिपोर्ट में ज्ञान के गंभीर संकट को हल करने के लिए विकासशील देशों की मदद करने के वास्ते ठोस नीतिगत कदम उठाने की सिफारिश की गई है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
प्रिंसेस डायना से शारीरिक संबंध बनाना चाहते थे ट्रंप