शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. indian students concerned about deportation dropping out of semester as us announces new visa rules
Written By
Last Modified: रविवार, 12 जुलाई 2020 (20:31 IST)

US में नए वीजा नियमों की घोषणा के बाद भारतीय छात्रों को सता रही वापस भेजे जाने की चिंता

US में नए वीजा नियमों की घोषणा के बाद भारतीय छात्रों को सता रही वापस भेजे जाने की चिंता - indian students concerned about deportation dropping out of semester as us announces new visa rules
नई दिल्ली। अमेरिका में नए वीजा नियमों की घोषणा के बाद भारतीय छात्रों को वैश्विक संकट के बीच निर्वासित होने, कर्ज चुकाने, कोविड-19 की चपेट में आने, सेमेस्टर की पढ़ाई छूटने और कॉलेज दोबारा नहीं जा पाने का डर सता रहा है।
 
दरअसल, अमेरिकी आव्रजन प्राधिकरण ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा जिनके विश्वविद्यालय कोरोनावायरस की महामारी के चलते इस सेमेस्टर पूर्ण रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे। इस कदम से सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
 
हालांकि हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाच्यूसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) और जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने इस आदेश पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है, जिसका प्रिंस्टन विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफॉर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान और कॉर्नेल विश्वविद्यालय समेत कुछ विश्वविद्यालयों ने समर्थन किया है।
 
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड हेल के साथ ऑनलाइन बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था।

उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच संपर्क की भूमिका को ध्यान में रखने की आवश्यकता है, क्योंकि इन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि इससे छात्रों की चिंताएं कम नहीं हुई हैं और वे इस मामले पर ताजा जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। 
 
ड्यूक विश्वविद्यालय की छात्र शोभना मुखर्जी ने पीटीआई से कहा कि यह लंबे समय रुकने की योजना लेकर अमेरिका आए छात्रों के लिए बड़ा झटका होगा।

कोरोनावायरस के मद्देनजर कॉलेज जब बंद हुआ तो मैं देश में ही रुक गई। मैं तो जाना भी नहीं चाहती हूं, क्योंकि समय में फर्क होने के चलते ऑनलाइन कक्षाएं ले पाना भी मुश्किल है, लेकिन अब अचानक ही यहां मेरा प्रवास अब अवैध हो गया है।
 
उन्होंने कहा कि सेमेस्टर, पढा़ई के लिए गए कर्ज का क्या होगा? मैं ट्यूशन फीस भरने के लिए विश्वविद्यालय में जो काम कर रही थी उसका क्या? इससे भी ज्यादा अगर मुझे निर्वासित कर दिया गया तो क्या मैं वापस आ पाउंगी? इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। 
 
शिकागो के इलियोनिस विश्वविद्यालय के एक छात्र ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि किसी को नहीं पता था कि ऐसा होने वाला है। मैं यह सुनकर हैरान रह गया। हमने सपने में भी कभी ऐसा नहीं सोचा था। कोई भी जब किसी देश में जाता है, तो लंबे समय रहने का सोचकर जाता है। वह सोच समझकर ऐसा करता है, लेकिन इस घोषणा के बाद मैंने आने वाले पांच साल के लिए जो योजना बनाई थी, वह धरी की धरी रह जाएगी। यह ऐसी स्थिति है जहां मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि किससे डरा जाए, बीमारी से या फिर निर्वासन से।
 
बोस्टन में पढ़ाई कर रही एक भारतीय छात्रा कोषा ठाकुर ने कहा कि मैं जनवरी में यहां आई थी। फिलहाल मेरा विश्वविद्यालय हायब्रिड मोड (कुछ कक्षाएं ऑनलाइन और कुछ विश्वविद्यालय आकर लेना) में कक्षाएं आयोजित करने पर फैसला ले रहा है। अगर कोरोना वायरस के मामले और बढ़े तो इन्हें पूरी तरह ऑनलाइन किया जा सकता है। तब क्या होगा? क्या मेरा यहां ठहरना अवैध हो जाएगा।
 
स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिट प्रोग्राम (एसईवीपी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी में अमेरिका के विभिन्न अकादमिक संस्थानों में 1,94,556 भारतीय छात्रों ने पंजीकरण कराया है। इनमें 1,26,132 छात्र और 68,405 छात्राएं शामिल हैं। (भाषा) (प्रतीकात्मक चित्र)