इस्लामाबाद। क्रिकेट से सियासत का 22 साल लंबा सफर तय करने के बाद इमरान खान ने शनिवार को ऐसे वक्त में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है, जब देश गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। इमरान ने भी मोदी की तरह ही जनता से काले धन को लेकर बड़ा वादा किया। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान को लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा। जिस कालेधन को सफेद किया गया, मैं उसे वापस लाऊंगा। जो पैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी पर खर्च होने चाहिए थे, वे भ्रष्ट लोगों की जेब में चले गए।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति भवन 'एवान-ए-सद्र' में आयोजित एक सादे समारोह में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख 65 वर्षीय खान को राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पद की शपथ दिलाई।
समारोह की शुरुआत सुबह 9.30 बजे होनी थी लेकिन 40 मिनट की देरी से शुरू हुई। इसकी शुरुआत राष्ट्रगान से हुई और बाद में कुरान की आयतों का तिलावत किया गया। पारंपरिक स्लेटी-काले रंग की शेरवानी पहने खान की आंखों में आंसू नजर आ रहे थे। वे कुछ नर्वस भी थे और इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शपथ पढ़ने के दौरान वे उर्दू के शब्द बोलने में अटक रहे थे।
1992 में क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान को जीत दिलाने वाले कप्तान खान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पुराने साथी क्रिकेटरों को भी बुलाया है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू, क्रिकेटर से कमेंटेटर बने रमीज राजा, पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम सहित अन्य कई विशिष्ट अतिथि समारोह में उपस्थित थे। पीटीआई के तमाम बड़े नेताओं ने भी इसमें शिरकत की।
सरकारी टीवी चैनल पीटीवी से बातचीत के दौरान सिद्धू ने खान की तारीफ करते हुए कुछ लाइनें पढ़ीं कि नई सरकार के साथ पाकिस्तान में नई सुबह हुई है, जो इस देश की तकदीर बदल सकती है। उन्होंने आशा जताई कि खान की जीत पाकिस्तान-भारत शांति के लिए बेहतर साबित होगी। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने 2 बार सिद्धू को गले लगाया और दोनों में संक्षिप्त बातचीत भी हुई।
समारोह में खान की तीसरी और मौजूदा पत्नी बुशरा बीवी भी उपस्थित थीं। वे सफेद अबाया में थीं। शपथ लेने के बाद खान और बुशरा अपने अतिथियों से मिले। खान के शपथ ग्रहण के साथ ही देश में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएलएम-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच चल रही सत्ता की अदला-बदली का सिलसिला खत्म हो गया। देश में सैन्य शासन नहीं रहने के दौरान अभी तक इन्हीं दोनों पार्टियों की सरकार रही है।
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को अपना हीरो बताते हुए खान ने वादा किया कि वे भ्रष्टाचार से जूझ रहे पाकिस्तान को कल्याणकारी इस्लामी राष्ट्र में बदल देंगे। ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई करने वाले खान ने शुक्रवार को अपने एकमात्र प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के प्रमुख शहबाज शरीफ को नेशनल असेम्बली में हुए एकतरफा चुनाव में हराकर प्रधानमंत्री पद के लिए जीत हासिल की।
गौरतलब है कि पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले समूह द्वारा 2016 में किए गए हमले और भारत के कथित जासूस कुलभूषण जाधव को सैन्य अदालत द्वारा पिछले वर्ष अप्रैल में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंधों में खटास आई है। सीमापार आतंकवाद के कारण युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान के साथ भी पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं हैं, वहीं अमेरिका अफगान तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों को अप्रत्यक्ष समर्थन देने के मुद्दे पर लगातार पाकिस्तान से नाराज चल रहा है।
सरकार बनाने के लिए 342 सदस्यीय नेशनल एसेम्बली में पार्टी को 172 मतों की जरूरत होती है। शुक्रवार को हुए चुनाव में खान को 176 वोट मिले जबकि शरीफ को 96 वोट मिले। शुक्रवार को चुनाव के बाद संसद को पहली बार संबोधित करते हुए खान ने पाकिस्तान को लूट रहे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मैं आज अपने वतन से वादा करता हूं कि हम वह तब्दीली लाएंगे जिसके लिए यह मुल्क लंबे वक्त से कोशिश करता रहा है।
खान को 7 सीटों वाली मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट, 5 सीटों वाली बलूचिस्तान आवामी पार्टी, 4 सीटों वाली बलूचिस्तान नेशनल पार्टी, 3 सीटों वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग, 3 सीटों वाली ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस, 1-1 सीटों वाली आवामी मुस्लिम लीग और जमूरी वतन पार्टी का भी समर्थन प्राप्त है।
आम चुनावों में 116 सीटों के साथ पीटीआई सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, बाद में 9 निर्दलीय उम्मीदवारों के खान की पार्टी में शामिल होने से उनकी संख्या बल बढ़कर 125 हो गई। इसके अलावा संसद में महिलाओं के लिए आरक्षित 60 सीटों में 28 सीटें और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 10 में से 5 सीटें मिलने के बाद पीटीआई के सदस्यों की संख्या बढ़कर 158 हो गई।