लंदन। ब्रिटेन में आज होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री थेरेसा मे के भविष्य का फैसला होगा जिन्होंने देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए अचानक मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। दो आतंकवादी हमलों से प्रभावित प्रचार अभियान के आज अंतिम दिन राजनीतिक दलों के नेताओं ने मतदाताओं को रिझाने की पूरी कोशिश की।
मेनचेस्टर और लंदन में हुए दो आतंकवादी हमलों से प्रचार अभियान की गति प्रभावित हुई और नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा हो गया। चुनावी माहौल आतंकवाद के खतरे पर चिंता और चर्चा में बदल गया। प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने यह कहते हुए कि यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के बाद देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए चुनाव ही एकमात्र रास्ता है, मध्यावधि चुनाव कराने की अचानक घोषणा की थी।
उन्होंने कहा था, अगर मध्यावधि चुनाव नहीं कराया गया तो विरोधी दलों का राजनीतिक खेल जारी रहेगा। तय समय पर आगामी चुनाव तक यूरोपीय संघ से समझौता काफी कठिन हो जाएगा, अत: आम चुनाव जल्द से जल्द कराने की जरूरत है।
मतदान पूर्व अनुमान में कंजरवेटिव पार्टी की जीत की खबर तेज है, लेकिन चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही दोनों दलों कंजरवेटिव और लेबर में कांटे के मुकाबले की बात कही गई। कुछ एजेंसियों ने अनुमान जताया है कि सुश्री मे को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाएगा।
प्रधानमंत्री ने आज लोगों से चुनाव में साथ देने का आह्वान करते हुए कहा, ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के बाद की स्थिति से देश को बाहर निकालने में मदद के लिए आप लोग कल मतदान केन्द्रों पर भारी संख्या में पहुंचे।
सुश्री मे ने बार-बार यह बात दोहराई है कि देश के ईयू से बाहर निकलने के दौरान होने वाले तमाम समझौतों और अन्य आवश्यक औचारिकताओं से उनकी सरकार ही अच्छे से निपट सकती है और उसके बाद देश की चुनौतियों का मुकाबला भी उनकी ही सरकार कर सकती है। प्रधानमंत्री का यह भी दावा है कि अगर विपक्षी पार्टी सत्ता में आई तो वह ईयू से बाहर होने के एवज में देश को 2.5 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा सकती है।
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि अगर सुश्री मे पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन के 2015 के आम चुनाव की तरह पूर्ण बहुमत से जीत हासिल नहीं करती हैं तो उनकी अपनी पार्टी में तो किरकिरी होगी ही ईयू के 27 नेताओं में भी उनका प्रभाव कम होगा।
इस बार हुए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में सुश्री मे को लेकर अलग-अलग राय सामने आई है। किसी में दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला तो किसी में पूर्ण बहुमत की बात कही गई है। कल चुनाव शुरू होने तक कम से कम पांच सर्वेक्षण किए जाने का अनुमान है।
एक समय बेहद कमजोर मानी जाने वाली विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोरबयान ने इस बार जोरदार प्रचार अभियान चलाया। प्रधानमंत्री अपने पति फिलिप के साथ 'मीट मार्केट' गईं तो उन्हें अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ा। वहां पर लोगों ने यह कहकर दोनों का अभिनंदन किया कि वे विपक्षी लेबर पार्टी को मतदान दें। दुकानदारों ने प्रधानमंत्री से कहा, 'वोट फॉर लेबर'।
मैनचेस्टर में अमेरिकी पॉप स्टार एरिना ग्रांडे के 22 मई के म्यूजिक कंसर्ट में हुए आतंकवादी हमले के सदमे से लोग उबरे भी नहीं थे कि गत सप्ताह लंदन ब्रिज पर हुए आतंकवादी हमले ने लोगों का मनोबल तोड़ दिया। इन घटनाओं का चुनाव प्रचार पर गहरा असर पड़ा और प्रधानमंत्री को विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। दोनों घटनाओं में कई लोग मारे गए थे।
जेरेमी कोरबयान ने सुरक्षा मसलों पर प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने शासनकाल में पुलिसबल की संख्या कम करके देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। इस बीच, सुश्री मे ने समाचार सन में एक साक्षात्कार के दौरान कहा था, इस्लाम आतंकवाद पर नकेल कसेगीं और पुलिसबल और उसकी शक्तियों में वृद्धि करेंगीं। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की कार्रवाई करने में मानवाधिकार कानून रोड़ा बनते हैं तो कानून को बदल दिया जाएगा। हम आतंकवाद को परास्त करके रहेंगे। (वार्ता)