गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. earthquake in equador, 12 dies
Written By
Last Modified: रविवार, 19 मार्च 2023 (07:46 IST)

6.7 तीव्रता वाले भूकंप से थर्राया इक्वाडोर, 12 लोगों की मौत, जानिए कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

6.7 तीव्रता वाले भूकंप से थर्राया इक्वाडोर, 12 लोगों की मौत, जानिए कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता - earthquake in equador, 12 dies
इक्वाडोर में शनिवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.7 मापी गई। भूकंप से कई इमारतें तबाह हो गई। इस वजह से 12 लोगों के मारे जाने की खबर है। जानिए क्यों आते हैं भूकंप? कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता? भारत में भूकंप का खतरा कितना?
 
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, इक्वाडोर के तटीय गुयास क्षेत्र में 6.7 की तीव्रता वाला भूकंप आया। भूकंप का केंद्र इक्वाडोर के दूसरे सबसे बड़े शहर गुआयाकिल से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण में था। 
 
इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लास्सो ने भूकंप से 12 लोगों के मारे जाने की पुष्‍टि की है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में दिखाई दे रहा है कि भूकंप की वजह से गुआयाकिल में हड़कंप मच गया। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए।
 
Earthquake
कैसे आता है भूकंप? : हमारी धरती मुख्य तौर पर 4 परतों से बनी हुई है- इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टलऔर क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं। लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और उर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट, दूसरी के नीचे आ जाती है।
 
कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता? : भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन् 1935 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।
 
इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है, वह प्रति स्केल 32 गुना बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी, वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुना बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
 
भूकंप को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है, पर इसमें भूकंप को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है, क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।
 
भारत में भूकंप का खतरा कितना? : भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर 4 हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।
 
उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तरप्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्यभारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।
 
हालांकि राजधानी दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं, जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं, जो जोन-4 या जोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे जोन-5 में भी कुछ इलाके हो सकते हैं, जहां भूकंप का खतरा बहुत कम हो और वे जोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों।
Edited by : Nrapendra Gupta  
ये भी पढ़ें
क्या धीमी पड़ रह है भारतीय अर्थव्यवस्था की गति?