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Last Modified: शनिवार, 27 मई 2017 (00:06 IST)

चीन की सरकार ने दी थी दलाई लामा की उपाधि

Dalai Lama
बीजिंग। चीन ने शुक्रवार को  कहा कि दलाई लामा अपने वारिस को नियुक्त करने संबंधी धार्मिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नहीं बदल सकते क्योंकि उन्हें दलाई लामा की उपाधि चीन की सरकार ने ही दी थी।
 
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि बौद्ध धर्म की तिब्बती परंपराओं के अनुसार, सरकार के सक्षम विभागों ने इस पर चर्चा की है और सरकार ने एक श्वेत पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा, इस बारे में 14वें दलाई लामा के सामने भी सब कुछ स्पष्ट है। 
 
उन्होंने कहा, दलाई लामा की उपाधि केंद्र सरकार ने दी थी। वर्ष 1950 में जब उन्होंने तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु का पद संभाला था तब चीन के अधिकारी भी वहां मौजूद थे, उस संदर्भ में कांग ने कहा, उस वक्त चीन गणराज्य के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में 14वें दलाई लामा को गद्दी पर बैठाया था। 
 
उन्होंने कहा, इसलिए धार्मिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का निश्चित समूह है जिन्हें कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता। 81 वर्षीय तिब्बती धर्मगुरु ने 14वें दलाई लामा का पद वर्ष 1940 में संभाला था और 15 वर्ष के होने पर उन्होंने सारी जिम्मेदारियां संभाल ली। 
 
वर्ष 1959 में तिब्बत में चीन के दमन से बचकर वह भारत चले गए थे और तभी से वे धर्मशाला में रहे रहे हैं। दलाई लामा ने हाल में कहा था कि मेरा वारिस ऐसे स्थान पर जन्म नहीं ले सकता है जहां कोई आजादी ना हो। लू उनकी इसी टिप्पणी से संबंधित सवालों के जवाब दे रहे थे। (भाषा)
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