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Last Updated : शनिवार, 5 मार्च 2022 (13:57 IST)

Russia-Ukraine War: यूरोप में बड़ा साइबर अटैक, हजारों यूजर्स हो गए ‘ऑफलाइन’

Russia-Ukraine War: यूरोप में बड़ा साइबर अटैक, हजारों यूजर्स हो गए ‘ऑफलाइन’ - Big cyber attack in Europe, thousands of users went 'offline'
यूरोप में इंटरनेट कनेक्शन चले जाने से हजारों लोग ऑफलाइन हो गए। बताया जा रहा है कि साइबर अटैक के चलते ऐसा हुआ।

ऑरेंज के अनुसार फ्रांस में सहायक कंपनी नॉर्डनेट की तरफ से मुहैया कराई जाने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के करीब 9 हजार सब्सक्राइबर्स वायसेट में 24 फरवरी को हुई ‘साइबर घटना’ के बाद इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर पाए।

वायसेट एक अमेरिकी सैटेलाइट ऑपरेटर है। बिगब्लू उपग्रह इंटरनेट सेवा की मूल कंपनी यूटेलसैट ने भी शुक्रवार को बताया कि जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, ग्रीस, इटली और पोलैंड में उसके 40,000 ग्राहक आउटेज से प्रभावित हुए।

अमेरिका में वायसैट ने बुधवार को कहा कि एक 'साइबर घटना' यूरोप में यूक्रेन और अन्य जगहों पर ग्राहकों के लिए नेटवर्क आउटेज का कारण बनी, जो इसके केए-सैट उपग्रह से जुड़े थे। वायसैट ने और कोई जानकारी नहीं दी। हालांकि यह बताया कि पुलिस और स्टेट पार्टनर्स को इसकी सूचना मिल चुकी है और इसकी जांच की जा रही है।

फ्रांस के स्पेस कमांड के प्रमुख जनरल मिशेल फ्रिडलिंग ने कहा कि साइबर हमला हुआ है। उन्होंने सिविलियन नेटवर्क वायसैट के बारे में बात करते हुए कहा, "हमारे पास एक सैटेलाइट नेटवर्क है जो विशेष रूप से यूरोप और यूक्रेन को कवर करता है। यह साइबर हमले का शिकार हुआ, जिसमें दसियों हजार टर्मिनल थे जो हमले के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गए।"

आउटेज ने जर्मनी और मध्य यूरोप में 11 गीगावाट का संयुक्त उत्पादन करने वाले 5,800 पवन टर्बाइनों को भी बंद कर दिया। मैन्युफैक्चरर एनरकॉन ने कहा कि समस्याएं 24 फरवरी को शुरू हुईं, जो कि यूक्रेन आक्रमण का पहला दिन था।

इसने कहा कि यूरोप में सैटेलाइट कनेक्शन में बड़े पैमाने पर रुकावट के कारण हजारों पवन ऊर्जा कन्वर्टर्स की निगरानी प्रभावित हुई। पवन टर्बाइनों के लिए कोई खतरा नहीं है, जो ऊर्जा का उत्पादन जारी रखे हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर इन्हें दूर से रीसेट नहीं किया जा सकता है।

सैन्य और साइबर विशेषज्ञों को डर है कि रूसी-यूक्रेनी संघर्ष से साइबर हमले का प्रकोप बढ़ सकता है। इसका यूक्रेन और रूस में नागरिकों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। साथ ही अन्य देश में इसकी चपेट में आएंगे। फिलहाल अब तक के सबसे खराब स्थिति से बचा जा चुका है, क्योंकि यह साइबर अटैक सीमित दायरे को ध्यान में रखकर टारगेट किया गया
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