मैटर, डार्क मैटर और एंटीमैटर से संचालित होता इंसानी भविष्य  
					
					
                                       
                  
				  				
								 
				  
                  				  क्या सचमुच ही हमारे आसपास है एक समानांतर संसार जिसके द्वारा हम हर समय प्रभावित होते रहते हैं? मैटर, डॉर्क मैटर और एंटी मैटर के बीच फंसा हमारा ब्रह्मांड हमें कितना संचालित और प्रभावित करता है? वैज्ञानिक शोधों की मानें तो जैसा ऊपर है वैसा नीचे और जैसा दाएं, वैसा बाएं। हम एक नहीं हम दो और तीन हो सकते हैं।
	 
				  																	
									  
	 
	वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हमारे आसपास हमारा एक समानांतर संसार है जो हमारे कर्म से कहीं ज्यादा हमारी सोच और भाव से संचालित होता है। हमारे आसपास हमारी ऊर्जा की त्रिआयामी तस्वीर बनती है जो हमारी जरा-सी हरकत, सोच और कल्पना से बदलती रहती है। इसके बदलने से हमारी सोच भी बदलती है।
				  
	 
	हमारे आसपास का यह अदृश्य समानांतर संसार हमारी सोच को बदलता है, कर्म को बदलता है और भाग्य व भविष्य को भी। हम एक दूसरे को बदलते रहते हैं। दरअसल हम ही खुद को बदलते रहते हैं। इसे आकर्षण का सिद्धांत कहते हैं। आप इसे रिफ्लेक्शन का असर कह सकते हैं।
				  						
						
																							
									  
	 
	दृश्य और अदृश्य से प्रभावित होता जीवन : एक तो होता है मैटर और दूसरा होता है डार्क मेटर और तीसरा होता है एंटी मैटर। जो मैटर हमें दिखाई नहीं देता लेकिन महसूस होता है उसमें है हवा और विचार। सब कुछ पदार्थमय है, जो पदार्थ दिखाई नहीं देता उसे सुक्ष्म पदार्थ कहते हैं।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	एंटीमैटर की दूर तक कोई सत्ता नहीं है, लेकिन डार्क मैटर सब जगह है। छाया को भी डार्क मैटर माना जाएगा और ब्रह्मांड के ब्लैक होल को भी। दोनों ही की उपस्थिति का असर जबरदस्त होता है।
				  																	
									  
	 
	सुक्ष्म शरीर से जुड़ा है यह शरीर। सुक्ष्म शरीर हमारे विचार, भाव और कल्पना के अनुसार संचालित होता है। यदि आपमें यह विचार और कल्पना प्रगाढ़ है कि आप धनवान बनने वाले हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। आप आज जो भी है वे अपने पिछले विचारों और कल्पना का परिणाम ही हैं। छाया के महत्व को भी समझें।
				  																	
									  
	 
	भाग्य को मानने वाले कहते हैं कि यदि आपके भाग्य में कुछ नहीं तो कभी नहीं मिलेगा, लेकिन यह भाग्य क्या होता है? दूसरी ओर यही भाग्यवादी लोग कहते हैं कि भविष्य भी भगवान के हाथों में ही होता है। क्या यह सच है?
				  																	
									  
	 
	वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि भाग्य और भविष्य व्यक्ति के कर्म, सोच और समूहगत कर्म और सोच पर निर्भर रहता है। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा-विचार का प्रभाव जरूर होता है। इसके कई उदाहरण हैं।
				  																	
									  
	 
	यहां खुद के भाग्य और भविष्य को बदलने के लिए जरूरी है कि पहले अपनी सोच को बदलें। उसे ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बनाएं। अपने घर और आसपास की चिजों को बदले। बेहतर पौधों और चित्रों से घर के वातावरण के बदला जा सकता है। उन लोगों से दूर रहें जो नकारात्मक सोचते या आपकी आलोचना करते हैं। जरूरी है कि आप खुद को अच्छे विचारों के लोगों के बीच रखें।