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Last Updated :इंदौर , बुधवार, 12 फ़रवरी 2025 (17:44 IST)

मछली की पित्त की थैली के सेवन से युवक का लिवर और किडनी फेल, जानें डॉक्टर ने कैसे बचाई जान

मछली की पित्त की थैली के सेवन से युवक का लिवर और किडनी फेल, जानें डॉक्टर ने कैसे बचाई जान - Successful treatment of liver and kidney of a young man
Successful treatment of liver and kidney : मध्य भारत के इंदौर में 42 वर्षीय युवक ने मछली की पित्त की थैली का सेवन कर लिया, जिसके कारण उसकी लिवर और किडनी फेल हो गए थे। जिसका सफल इलाज मेदांता अस्पताल में हुआ। अब युवक बिल्कुल स्वस्थ है और उसे डायलिसिस की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। शुरुआती चार डायलिसिस के बाद मरीज की हालत में सुधार दिखने लगा और डायलिसिस बंद कर दिया गया। बिना किसी सर्जरी के सही दवाइयों और लगातार मॉनिटरिंग से मरीज को बचा लिया गया। मछली के साथ पित्त की थैली का सेवन घातक हो सकता है। लोगों को जागरूक रहना चाहिए और खाने-पीने में सावधानी बरतनी चाहिए।
 
मेदांता अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जय सिंह अरोरा ने बताया कि अंजाने में युवक ने मछली की पित्त की थैली खा ली। कुछ घंटों बाद उसे उल्टियां और दस्त शुरू हो गए। शुरुआती इलाज के लिए उसे छोटे अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पता चला कि उसके लिवर एंजाइम्स एसजीओटी और एसजीपीटी खतरनाक रूप से 3000-4000 के स्तर तक पहुंच गए हैं। साथ ही, क्रिएटिनिन की मात्रा भी 8-9 तक बढ़ गई थी।
 
मरीज और उसके स्वजन को लगा कि यह सामान्य फूड पॉयजनिंग है और उसने उल्टी-दस्त की दवाइयां लीं, लेकिन जब उसकी स्थिति बिगड़ने लगी, तब वह मेदांता अस्पताल पहुंचा। जांच के दौरान पता चला कि उसने मछली की पित्त की थैली का सेवन किया था, जिससे उसका लिवर और किडनी दोनों गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
 
बिना सर्जरी के हुआ सफल उपचार
डॉ. जय सिंह अरोरा ने बताया कि ऐसे मामलों में समय पर रोगी की सही हिस्ट्री लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है। मरीज को तुरंत स्टेरॉयड और डायलिसिस की मदद से इलाज दिया गया। शुरुआती चार डायलिसिस के बाद मरीज की हालत में सुधार दिखने लगा और डायलिसिस बंद कर दिया गया। बिना किसी सर्जरी के सही दवाइयों और लगातार मॉनिटरिंग से मरीज को बचा लिया गया।
 
टॉक्सिन का प्रभाव और सावधानियां
डॉ. अरोरा ने बताया कि मछली की पित्त की थैली में सायरपरोल नामक टॉक्सिन होता है, जो शरीर में पहुंचने पर लिवर और किडनी को तेजी से नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि पित्त की थैली मल के साथ बाहर निकल जाती है, लेकिन इसका विष शरीर में गंभीर असर डालता है। यह समस्या समुद्री क्षेत्रों में आम होती है, लेकिन मध्य भारत में ऐसे मामले दुर्लभ हैं। लोगों को मछली के अंगों के सेवन के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
 
लिवर और किडनी के प्रति जागरूक रहें लोग
डॉ. अरोरा ने बताया कि मछली के साथ पित्त की थैली का सेवन घातक हो सकता है। लोगों को जागरूक रहना चाहिए और खाने-पीने में सावधानी बरतनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को उल्टियां, दस्त और अचानक लिवर-किडनी की खराबी के लक्षण दिखें, तो यह जांचना जरूरी है कि उसने मछली या किसी अन्य जहरीले पदार्थ का सेवन तो नहीं किया। समय पर सही इलाज से ही मरीज की जान बचाई जा सकती है।