Indore : बेलेश्वर मंदिर हादसे को हाईकोर्ट ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, जांच में देरी को लेकर दिए ये निर्देश
Indore Beleshwar Temple Incident Case : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में पिछले साल रामनवमी पर हुए भीषण हादसे की अधूरी जांच को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जताई। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि यह जांच हादसे की पहली बरसी से पहले पूरी की जाए।
शहर की एक पुरानी बावड़ी के ऊपर अवैध रूप से बने मंदिर की फर्श धंसने से 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जिनमें दो बच्चे और 21 महिलाएं शामिल थीं। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने मंदिर हादसे को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनाए फैसले में कहा कि पुलिस की अधूरी तहकीकात के कारण न तो आरोपियों पर मुकदमा चलाए जाने की शुरुआत हो सकी है, न ही संबंधित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो सकी है।
युगल पीठ ने कहा, जूनी इंदौर पुलिस थाने के प्रभारी को निर्देशित किया जाता है कि वह मामले में दर्ज प्राथमिकी की जांच पूरी करें। संबंधित पुलिस उपायुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वह जांच की निगरानी करते हुए सुनिश्चित करें कि यह तहकीकात हादसे को सालभर पूरा होने से पहले खत्म हो जाए।
मंदिर हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट में नगर निगम के अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही का दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने मंदिर की बावड़ी की सुरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किया और यदि उनके द्वारा बावड़ी को चिन्हित करके साइन बोर्ड लगाया जाता, तो वहां संभवत: दुर्घटना नहीं होती।
उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन के एक अधिकारी ने मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को 11 जुलाई 2023 को सौंप दी थी, लेकिन इस रिपोर्ट को अदालत और आम जनता के संज्ञान में समय रहते नहीं लाया गया।
मंदिर हादसे के बाद प्रशासन द्वारा शहर की बावड़ियों और कुओं को बंद किए जाने को लेकर याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर युगल पीठ ने निर्देश दिया कि इन जल स्त्रोतों को जनता के उपयोग के लिए खोल दिया जाए और स्थानीय निकाय द्वारा वक्त-वक्त पर इनकी सफाई और रखरखाव भी किया जाए।
अदालत ने कहा, बावड़ियां हमारे सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। इस बात के सबूत मिले हैं कि बावड़ियों का वजूद सिंधु घाटी सभ्यता में भी था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श 30 मार्च 2023 को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान इस तरह धंस गई कि बावड़ी में गिरकर 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी।
अधिकारी ने बताया कि हादसे के बाद बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सबनानी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
प्रशासन ने हादसे के चार दिन बाद तीन अप्रैल 2023 को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियां अन्य देवस्थान में पहुंचाई थीं। इसके बाद आम लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को ढहा दिया था। इसके साथ ही भीषण हादसे की गवाह रही बावड़ी को मलबा डालकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour